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तीन युवकों ने 4 साल में गौशालाओं को दिया 67 लाख का सहयोग

07:56 AM Jul 09, 2024 IST

हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 8 जुलाई
हरियाणा में सावन के महीने में घेवर का जिक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता। ठेठ देसी मिठाइयों में शुमार घेवर की डिमांड को देखते हुए पिनाना गांव के तीन युवकों ने बाजार भाव से कम रेट पर लोगों को शुद्ध घी से तैयार घेवर खिलाने और उससे होने वाली आमदनी को गौ सेवा का जरिया बनाकर एक मिसाल कायम की है।
इन्होंने 4 साल पहले गांव में ही घेवर बनाना शुरू किया और बिक्री से मिले 67 लाख रुपये से अधिक के मुनाफे को शत-प्रतिशत आसपास की 9 गौशालाओं में दान कर दिया।


पिनाना गांव के राकेश ठेकेदार ने बताया कि सावन के महीने में बहनों, बुआ और रिश्तेदारों को उपहार के तौर पर घेवर भेजे जाते हैं। लेकिन इसकी शुद्धता को लेकर हमेशा संशय बना रहता था। इसे लेकर उन्होंने अपने साथी अमित और कृष्ण से बात कर तय किया कि सीजन में गांव में शुद्ध देसी घी से घेवर तैयार कर बाजार से कम भाव पर बेचेंगे। इतना ही नहीं इसकी बिक्री से होने वाली शत-प्रतिशत आमदनी को आसपास की गौशालाओं में सहयोग के तौर पर दान करेंगे।
2020 में बनायी घेवर मित्र मंडली पिनाना
राकेश बताते हैं कि 2020 में सावन के महीने में उन्होंने ‘घेवर मित्र मंडली पिनाना’ के नाम से सोनीपत-गोहाना रोड स्थित अपने गांव पिनाना में ही कुछ कारीगरों की मदद से घेवर का काम शुरू किया। हालांकि तीनों के अपने-अपने कामधंधे व खेतीबाड़ी है मगर तय किया कि सिर्फ ढ़ाई महीने के सीजन में यह काम करेंगे।
अमित का कहना कि घेवर में वीटा शुद्ध देसी घी और बेहतरीन कच्चा माल इस्तेमाल किया जाता है। दूध आसपास के गांव और गौशालाओं से लिया जाता है।
घेवर को मिलावटी साबित करने पर 5 लाख रूपये का ईनाम देने की बात दावे के साथ करते हैं। देसी घी से तैयार सादा घेवर 250 रूपये, दूध घेवर 300 रूपये, मावा घेवर 350 रूपये व जलेबी 250 रूपये प्रति किलो के भाव से बेचते हैं। उनका कहना है कि यह बाजार से काफी कम रेट है। उनकी माने तो शुद्धता, स्वाद और कमतर भाव की वजह से खूब बिक्री होती है। साथ ही नमकीन के तौर पर 150-160 ग्राम का समोसा मात्र 5 रूपये में बेचते हैं।
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इन गौशालाओं को मिला दान

राकेश बताते हैं कि इस काम के माध्यम से गौसेवा हो रही है, वह वाकई में दिल को शांति देने वाला काम है। लक्ष्य गौसेवा होने की वजह से आसपास के ग्रामीणों और ग्राहकों का खूब साथ मिल रहा है। अगर वह घेवर आदि की खरीददारी ही नहीं करते तो हम इस स्तर पर गौसेवा नहीं कर पाते। उनसे मिलने वाली आमदनी से ही यह संभव हो पाया। अभी तक गांव मुंडलाना स्थित गौशाला, कांसडी, सिसाना, गन्नौर, तिहाड, सांदल कलां, भठगांव व गांव राजपुर की गौशालाओं में पिछले 4 साल की शत-प्रतिशत आमदनी के रूप में 67 लाख 49 हजार 921 रूपये दान कर चुके हैं।

 

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गांव पिनाना में घेवर मित्र मंडली द्वारा तैयार किया गया मावा घेवर।-हप्र

खेतों में कंटेनर व टेंट से बनाई गयी अस्थायी दुकान के बाहर साइन बोर्ड लगाकर गौशालाओं को दिए गये दान की सूची सार्वजनिक की गई है। उनका कहना है कि इस सीजन में होने वाली आमदनी भी गौशालाओं में जायेगी। वहीं घेवर बेचने का कार्य हर साल की तरह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक चलेगा। भाजपा के जिलाध्यक्ष जसबीर दोदवा कहते हैं कि किफायती रेट पर शुद्ध घेवर मुहैया कराकर उसकी आमदनी को गौशालाओं में दान देकर समाज को सेवा करने का एक सशक्त संदेश दिया है।

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