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तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिट फेस्ट संपन्न

09:50 AM Oct 21, 2024 IST
तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिट फेस्ट संपन्न
कसौली में आयोजित लिट फेस्ट के अंतिम दिन वक्ता सौरभ किरपाल और रोहिन भट्ट के साथ चर्चा करतीं दि ट्रिब्यून ग्रुप की एडिटर-इन-चीफ ज्योति मल्होत्रा। -निस
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सोलन, 20 अक्तूबर (निस)
ऐतिहासिक कसौली क्लब में आयोजित  तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिट फेस्ट रविवार को संपन्न हुआ। देश-विदेश से आए इनोवेटिव राइटर्स फिर मिलने का वादा कर लौट गए। फेस्ट के आयोजक व खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।
खुशवंत सिंह लिटरेरी फेस्टिवल के तीसरे दिन समापन सत्र में वक्ता अमिताभ कांत ‘विकसित भारत 2047’ पर वार्ताकार राहुल सिंह के साथ बातचीत की। चर्चा में भारत के विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग की कल्पना को मूर्त रूप देने की बात कही। अमिताभ कांत भारत के गौरवशाली अतीत से लेकर भविष्य की आकांक्षाओं तक की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर कांत ने कहा कि देश को आर्थिक गति देनी है तो वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी 50 फीसदी करनी होगी। उन्होंने कहा कि इससे देश की जीडीपी 9 से 10 फीसदी होगी और यह जीडीपी एक-दो वर्षों के लिए नहीं बल्कि स्थाई होगी। अभी देश की महज 37.5 फीसदी महिलाएं ही इकोनॉमिक वर्कफोर्स में है।

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सौरभ किरपाल और रोहिन भट्ट ने दि ट्रिब्यून ग्रुप की एडिटर-इन-चीफ ज्योति मल्होत्रा के साथ चर्चा में लिया भाग अंतिम दिन के दूसरे सत्र में वक्ता सौरभ किरपाल और रोहिन भट्ट ने ‘कुछ भारतीय दूसरों की तुलना में अधिक समान हैं’ पर वार्ताकार दि ट्रिब्यून ग्रुप की एडिटर-इन-चीफ ज्योति मल्होत्रा के साथ चर्चा की। इस चर्चा में समकालीन भारत में न्याय, स्वतंत्रता और समानता के दबाव वाले मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई। एक सत्र में वक्ता भाईचंद पटेल ‘एक पुरानी आवाज़, एक नई किताब’ पर वार्ताकार विक्रमजीत साहनी के साथ बातचीत हुई। अन्य सत्र में वक्ता पूनम खैरा सिद्धू, अनुराधा जैन, डॉ. आनंद गोकानी, डॉ. रचना सिंह और जनरल के.जे. सिंह (सेवानिवृत्त) शामिल हुए, जिसमें उन्होंने वार्ताकार सत्य सरन के साथ विचार साझा किये। इस चर्चा में उभरती आवाज़ों और समकालीन साहित्य पर नए दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला। सत्र में वक्ता नेहा भट ने ‘लेट्स टॉक अबाउट सेक्स, बेबी’ पर वार्ताकार बच्ची करकरिया के साथ बातचीत की। इस चर्चा का उद्देश्य सेक्स के बारे में आपके सवालों को सुलझाना और उन्हें स्पष्ट करना था। भट ने सामाजिक वर्जनाओं और गलत धारणाओं को इंगित किया। एक जीवंत सत्र में वक्ता श्रीराम देवथा ने ‘चीयर्स!’ पर वार्ताकार डेसमंड नाजऱेथ के साथ बातचीत की।

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