चंडीगढ़ की पूर्व चीफ आर्किटेक्ट से 2.5 करोड़ की साइबर ठगी के तीन आरोपी गिरफ्तार
चंडीगढ़, 11 जून (ट्रिन्यू)
चंडीगढ़ की पूर्व चीफ आर्किटेक्ट सुमित कौर को 'डिजिटल अरेस्ट' करके 2.5 करोड़ रुपये की साइबर ठगी करने के मामले में चंडीगढ़ साइबर पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों की पहचान यूपी के धर्मेंद्र सिंह (28), राम किसन सिंह उर्फ रामू (36) और शाकिब (24) के तौर पर हुई है। पुलिस के अनुसार, 6 जून को हाथरस और आगरा में छापेमारी कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद 8 जून को सहारनपुर के बुधनपुर से तीसरे आरोपी को पकड़ा गया। पूछताछ में शाकिब ने कबूला कि उसने अपने नाम पर बैंक खाता और फर्म खोलकर ठगों को 10 फीसदी कमीशन पर इस्तेमाल करने दिया।
ढाई करोड़ की रकम उत्तर प्रदेश के विभिन्न खातों में ट्रांसफर की गई। आरोपी वहीं से पूरा साइबर ठगी का नेटवर्क चला रहे थे। फर्जी केवाईसी और दस्तावेजों के आधार पर खाते खोले गए। पुलिस अब अन्य आरोपियों और मास्टरमाइंड की तलाश में यूपी में दबिश दे रही है।
चंडीगढ़ के सेक्टर-10ए की रहने वालीं सुमित कौर को ठगों की कॉल गत 3 मई को आयी थी। उनसे कहा गया कि आपके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट है, आपकी सिम का दुरुपयोग हुआ है। यह कॉल एक फर्जी ट्राई अधिकारी का था, जिसके बाद शुरू हुआ एक डराने वाला साइबर नाटक।
जल्द ही व्हाट्एप वीडियो कॉल के जरिए खुद को पुलिस अफसर, सुप्रीम कोर्ट जज और सीबीआई अधिकारी बताने वाले लोग सामने आए। उन्होंने नकली गिरफ्तारी वारंट दिखाया। फिर फंड वेरिफिकेशन के नाम पर 2.5 करोड़ रुपये अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करने को मजबूर किया गया।
इस हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी का पर्दाफाश चंडीगढ़ पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने किया। कार्रवाई का नेतृत्व आईपीएस अधिकारी गीतांजलि खंडेलवाल, एसपी-साइबर ने किया। उनके साथ डीएसपी ए. वेंकटेश और एसएचओ एरम रिज़वी की टीम भी सक्रिय रही। पुलिस ने केवाईसी, सीडीआर, आईपी ऐनालिसिस और अकाउंट ट्रैकिंग के जरिए ठगी के नेटवर्क को ट्रेस किया।
पुलिस के अनुसार, पूछताछ में सभी तीनों आरोपियों ने अपनी संलिप्तता स्वीकार की।
साइबर पुलिस की जनता को सलाह
कोई भी पुलिस, सीबीआई या ईडी अधिकारी कभी भी फोन/ व्हाट्सएप पर पैसे या निजी जानकारी नहीं मांगता।
फर्जी वीडियो कॉल, नकली गिरफ्तारी वारंट या अधिकारियों के नाम पर डराने की कोशिशें सिर्फ साइबर फ्रॉड होती हैं।
किसी भी शक की स्थिति में तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।