एटीक को रिहायशी बनाने के लिए लगेगा हज़ारों का शुल्क
शिमला, 6 जुलाई (निस)
हिमाचल प्रदेश में एटीक (छतड़ी) को रिहायशी बनाने के लिए हजारों का शुल्क देना होगा। नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने एटीक को रिहायशी बनाने का शुल्क तय कर दिया है। शुल्क की दरें तय करने के बाद विभाग ने लोगों से 30 दिनों के भीतर आपत्तियां व सुझाव मांगे हैं। आपत्तियों व सुझावों का निपटारा करने के बाद विभाग तय शुल्क लेने के बाद लोगों को एटीक का रिहायश के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति देगा। अभी तक प्रदेश में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के नियमों के तहत एटीक का रिहायश के तौर पर इस्तेमाल करने की मनाही है। शिमला सहित प्रदेश के कई शहरों में निर्माण कार्यों को लेकर आए एनजीटी के आदेशों के बाद लोगों को ढाई व तीन मंजिल से अधिक ऊंचे भवन बनाने की अनुमति नहीं है। हालांकि सरकार ने अब शिमला डेवलेपमेंट प्लान को भी अधिसूचित कर दिया है। इसके तहत कोर व ओपन एरिया के साथ-साथ ग्रीन बेल्ट में भी बनने वाले भवनों की ऊंचाई अलग-अलग तय कर दी गई है। बावजूद इसके भवनों में एटीक तो बननी है। लोगों को राहत प्रदान करने के मकसद से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एटीक को रिहायशी इस्तेमाल करने की अनुमति देने की घोषणा की थी। इसके बाद मंत्रिमंडल से इसे मंजूरी मिली।
एफएआर के आधार पर देना होगा शुल्क
मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद अब नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने एटीक के रिहायशी इस्तेमाल करने के लिए शुल्क की दरें तय की हैं। विभाग ने इसे लेकर नियमों में भी संशोधन किया है। इसके तहत रिहायशी बेसमेंट को भी मंजिल गिना जाएगा। साथ ही 0.25 एफएआर के आधार पर ही एटीक को रिहायशी तौर पर इस्तेमाल करने के मद्देनजर शुल्क की दरें तय की गई हैं। इसे लेकर जारी अधिसूचना के मुताबिक 40 वर्ग मीटर की एटीक का शुल्क 50 हजार रुपए होगा। 40-60 वर्ग मीटर की एटीक का शुल्क 75 हजार होगा। 60-100 वर्ग मीटर की एटीक का शुल्क एक लाख तथा 100 वर्ग मीटर से अधिक की एटीक का शुल्क एक हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर होगा। एटीक के रिहायशी इस्तेमाल के मकसद से नियमों में संशोधन के बाद आम लोगों के साथ-साथ कई वीआईपी को भी राहत मिलेगी।