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बारिश न होने से हजारों एकड़ में धान ‘वेंटिलेटर’ पर

09:05 AM Jul 16, 2024 IST
बारिश के अभाव में सफीदों क्षेत्र में सूख चुकी धान की फसल।-निस
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रामकुमार तुसीर/निस
सफीदों, 15 जुलाई
सफीदों कें आसपास के इलाकों में हजारों एकड़ रकबे में किसानों द्वारा जैसे-तैसे रोपी गई धान आज ठीक उसी तरह ‘वेंटिलेटर’ पर है जैसे किसी गंभीर बीमार व्यक्ति को अस्पताल के आईसीयू में ऑक्सीजन व अन्य जरूरतों को पूरा करते हुए जैसे तैसे वेंटिलेटर पर जिंदा रखने का प्रयास किया जाता है। यह स्थिति बारिश न होने के कारण है जिसमें अब तक धान की रोपाई कर चुके बड़ी संख्या में किसानों को भारी घाटा हो चुका है। अनेक किसानों ने रोपी गई धान नष्ट होने के बाद दोबारा इसकी रोपाई की है लेकिन उसकी भी स्थिति वही हो चली है। नहरों में पानी नहीं है। आज क्षेत्र में अनेक किसान रोपी गई धान के खेतों में ट्रैक्टर चलाने की तैयारी में थे। गांगोली गांव से प्रदीप, शमशेर, सुभाष व रणबीर ने बताया कि उनके इलाके में नलकूप का पानी न पीने के काबिल है और न ही फसलों के ज्यादा अनुकूल है। बारिश हुई नहीं, ऐसे में वे परेशान हैं कि क्या करें। भारी खर्च उठाकर कुछ धान की रोपाई की है लेकिन वह सूख चुकी है। इसी तरह बुढ़ाखेड़ा के धर्मवीर, राजेश व कश्मीर तथा सिंघाना गांव के संजय, राजेश, नरेश व दिनेश ने बताया कि जमीन की जुताई, सिंचाई के पानी, डीएपी खाद, कीटनाशक दवा तथा रोपाई की मजदूरी, खरपतवार निकलने पर वे एक बार की रोपाई पर प्रति एकड़ करीब 15 हजार रुपये खर्च कर चुके हैं लेकिन फसल बारिश के बिना सूखने को है। सिंघाना से कई किसानों ने बताया कि जहां कुछ नहरी पानी मिल जाता है वहीं धान की फसल में थोड़ी जान कुछ समय के लिए आ जाती है लेकिन कुछ घंटे के बाद ही फिर वही हालात पैदा हो जाते हैं। किसान बारिश की उम्मीद में जैसे-तैसे रोपी गई धान के खेत को गीला रखने के प्रयास में हैं ताकि धान की जड़ें बची रहें और बारिश होने पर उसमें जान आ जाए। उधर, मुवाना गांव के जगदीश व प्रवीण का कहना था कि जिन किसानों ने उनके गांव से कुछ किलोमीटर दूर हांसी शाखा नहर के साथ नलकूप लगाकर अंडरग्राउंड पाइपलाइन अपने खेत तक लाई हुई है, उनके खेतों में ही नहरी पानी के कारण फसलें बची हुई हैं जबकि दूसरे किसानों के खेतों में फसलों की हालत खराब है।
नहरें 26 जुलाई तक हैं बंद: इस इलाके में पश्चिमी यमुना नहर की हांसी व बुटाना शाखा सिंचाई का मुख्य साधन हैं। दोनों में ही पानी कई दिन से नहीं है। इनसे जुड़ी सभी माइनरें भी बंद पड़ी हैं। जल सेवा विभाग के कार्यकारी अभियंता रघबीर सिंह ने बताया कि हथनीकुंड शाखा से इस इलाके की नहरों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया कि सभी उपमंडल क्षेत्रों में मांग 17 हजार क्यूसिक की है जबकि मिल रहा है केवल दो से अढ़ाई हजार क्यूसिक। रघबीर सिंह ने बताया कि उपलब्ध पानी के साथ सफ़ीदों क्षेत्र की हांसी व बुटाना शाखा नहरों की बारीबन्दी 26 जुलाई से शुरू होगी।

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