आईवीएफ-सरोगेसी के जरिये बच्चा पाने वालों को करना होगा इंतजार
विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 अगस्त
आईवीएफ व सरोगेसी के जरिये बच्चा पाने की चाहत रखने वालों को अभी कुछ दिन इंतजार करना होगा। केंद्र सरकार ने असिस्टेड रिप्रो-डक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशंस एक्ट 2021 (एआरटी 2021) व सरोगेसी एक्ट 2021 इसी वर्ष जनवरी से लागू कर दिया है। इसके तहत आईवीएफ सेंटरों को नये सिरे से रजिस्ट्रेशन करानी होगी। बिना रजिस्ट्रेशन के आईवीएफ सेंटर नहीं चलाए जा सकते। हेल्थ राज्यों का विषय हैं, इसलिए इसे लागू कराने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकारों की है, लेकिन उनकी तैयारी पूरी नहीं है। लिहाजा ऐसी परिस्थितियों में तमाम औपचारिकताएं लटक गई हैं। आईवीएफ सेंटर चलाने वाले संचालक इससे मुश्किलों में पड़े हैं। दूसरी ओर जिन दंपतियों को संतान सुख पाने में दिक्कतें आ रही हैं। एक्ट के प्रावधानों के तहत नया रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया तो सेंटर नहीं चलाया जा सकता। करीब 17 राज्य व यूटी ऐसे हैं जहां इस एक्ट को लेकर अभी तक कोई मसौदा तक तैयार नहीं किया गया है। वजह, इन्हें एक्ट का फिलहाल एबीसी तक नहीं मालूम। चंडीगढ़ भी उसमें से एक है।
चंडीगढ़ प्रशासन नहीं बना पाया अथॉरिटी
इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के प्रतिनिधियों का कहना है कि एक्ट को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन को कोई अथॉरिटी नहीं बना पाया है। उनकी दलील है कि चंडीगढ़ प्रशासन को एक्ट अनुसार तमाम पहलू तैयार करने के लिए मुलाकात कर कहा गया था, लेकिन जवाब मिला कि उन्हें इस एक्ट के बारे ही नहीं मालूम और न ही केंद्र की ओर से अभी इसको लेकर कोई जानकारी उनके पास आई है। इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के सदस्यों व चंडीगढ़ में आईवीएफ सेंटर चला रहे संचालकों व डॉक्टरों ने जब एक्ट की बारे अधिकारियों को थोड़ी जानकारी दी तो एक खाते में सेंटरों को रजिस्ट्रेशन के तौर पर दो-दो लाख रुपए जमा करवा लिए गए। जब तक केंद्र सरकार की एक्ट लागू करने व इसके बाद जारी अधिसूचना के मुताबिक पालिसी प्रशासन तैयार नहीं करता, तब तक ये सेंटर काम नहीं कर सकते। चंडीगढ़ प्रशासन व अन्य राज्यों को इस एक्ट के मुताबिक एक अथॉरटी व बोर्ड बनाना था जो नहीं किया गया है।
नहीं कर पा रहे काम
इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के अध्यक्ष केडी नैयर व ग्रेटर चंडीगढ़ चैप्टर आफ इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी व जिंदल आईवीएफ सेंटर की डायरेक्टर ड़ॉ. उमेश जिंदल ने पत्रकारवार्ता में बताया कि आईवीएफ सेंटर संचालक नये व पुराने कानून के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे हैं। इससे न केवल निसंतान दंपति जिन्हें प्राकृतिक तरीके से कुछ दिक्कतें होने की वजह से बच्चा नहीं हो सकता को दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं। सेंटरों को तब तक कोई नया केस हाथ में लेने से मना किया गया है जब तक तमाम औपचारिकताएं पूरी नहीं हो जाती। केंद्र सरकार ने केवल अभी इतनी राहत दी है कि 24 जुलाई तक रजिस्ट्रेशन कराने की तारीख को आगे बढ़ाकर अक्तूबर तक कर दिया गया है। ग्रेटर चंडीगढ़ चैप्टर ऑफ इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी ने रविवार को 17वें एआरटी अपडेट को लेकर एक सीएमई आयोजित की जिसमें स्त्री व प्रसूति रोगों से जुड़े वह नुमाइंदे शामिल हुए जो इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं को देखते हैं व उनका हल करते हैं। उन्होंने केंद्र के इस एक्ट के तमाम पहलुओं पर चर्चा की। जो स्पीकर मौजूद रहे उनमें डॉ. उमेश जिंदल, डॉ. गुलप्रीत बेदी, विनित नागपाल, डॉ. केडी नैयर, डॉ. कुलदीप जैन, डॉ एलके धालीवाल, डॉ. यशबाला, डॉ. गौरव अग्रवाल (एडवोकेट) ने एक्ट के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।