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इस साल आयेगा ऊंट पहाड़ के नीचे

06:38 AM Jan 11, 2024 IST
इस साल आयेगा ऊंट पहाड़ के नीचे

शमीम शर्मा

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यह साल झंडियां-झंडे-डंडे सहेजने का साल है। खूब उठापटक, धूम-धड़ाका होगा। उछाड़-पछाड़ होगी। नये समीकरण बनेंगे, बीती बातों की धूल झाड़ी जायेगी, नये सिरे से गले मिलने की चेष्टा होगी। कोई जीभ पर लगाम लगायेगा तो कोई आवाज में मिश्री घोलेगा। नेताओं के मुख की मुस्कान नये-नये आकार धारण करेगी। दारू व नकदी के लेनदेन के साथ ही नये-नये प्रलोभन गढ़े जायेंगे। फुस्स हुए कारतूस धमाका करने का दावा करंेगे। कइयों का भाग्य बदलेगा-बिगड़ेगा। सिंहासनों पर जबरदस्त संघर्ष होगा। कई नपेंगे। बस थोड़े दिनों की बात है कि जब चुनावी रिश्ते एक छाते का आकार धारण कर लेंगे जो ज़रूरत के हिसाब से खोले और बंद किये जायेंगे।
चुनावों में विजयश्री के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया जायेगा। गाड़ियां धूल उड़ाती भागेंगी और इस क्रम में पता नहीं किसका भाग्य करवट लेगा और किसके भाग्य पर धूल जमेगी। यह तय है किसी को कुर्सी मिलेगी, किसी की छिनेगी। ज्योतिषियों के पौ बारह होंगे। मंदिर-मस्जिदों में नेता शीश झुकाते मिलेंगे।
इस साल की खासियत यह रहेगी कि नेताओं के पैरों में कोई नहीं पड़ेगा। नेतागण ही मतदाताओं के पैरों में लोटपोट होंगे। कहीं हंगामा तो कहीं ड्रामा देखने को मिलेगा। पिछले चुनावों के परास्त परिन्दे साहिर लुधियानवी के सुर में गुनगुनाते मिलेंगे :-
बर्बादियों का सोग मनाना फिजूल था, बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया।
वोटर भी नेताओं को सचेत करते हुए कह देंगे :-
कब तक चलोगे आंखें मीचे, अब तो आयेगा ऊंट पहाड़ के नीचे। कद और मद की भूल-भुलैया में धंसे नेताओं के वे दिन आने वाले हैं जब वे दिन में तारे गिनेंगे। सोशल मीडिया पर नेताओं के चटखारे लिये जायेंगे। कंटेंट राइटर नये नारे लिखने में अभी से जुट भी गये हैं। कहीं भाषण सामग्री जुटाई जा रही है तो कहीं पोस्टरों के मैटर पर चर्चा चालू है। किसी को नये मुद्दों की तलाश है तो कोई अपने विरोधी को मुद्दा यानी उलटा गिराने की फिराक में है। कहीं टिकटों के बंटवारे पर संवाद होगा तो कहीं टिकट कट जाने की आशंका पर विवाद होगा। एक बुद्धिमान की सलाह है कि वोटर के मन की जानने के लिए पान की दुकान, नाई की दुकान, ट्रेन का जनरल डिब्बा और व्हाट्सएप की सेवाएं लेना बेहतर रहेगा, अन्यथा अफवाहें हाथ लगेंगी।
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एक बर की बात है अक रामप्यारी अपणी ढब्बण भतेरी तैं बूज्झण लाग्गी अक न्यूं बता ईबकै वोट किस मुद्दे पै घाल्लैगी? भतेरी अपणे मन का भेद देते होये बोल्ली- बेब्बे! मुद्दे का तो मन्नैं बेरा नीं पर मोहर मोद्दी कै ए मारूंगी।

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