अबकी बार टमाटर सौ के पार
सहीराम
लो जी, टमाटर ने तो शतक मार दिया है, अब वर्ल्ड कप में खिलाड़ी जो करें, सो करें। अच्छी बात यह है कि टमाटर को लेकर अभी वैसी कोई कहावत नहीं बनी है, जैसी आटे-दाल को लेकर है कि आटे-दाल का भाव पता चल जाएगा। वैसे यह कहावत भी महंगाई के लिए नहीं बनी थी साहब, गृहस्थी के कष्ट बताने के लिए बनी थी। लेकिन जैसे शायरों के कलाम लोगों के दर्द बयां करने के काम आ जाते हैं, वैसे ही कहावतें भी कई बार ऐसे ही दर्द बयां करने के काम आ जाती हैं। इधर आटे के साथ एक अच्छी बात यह हो गयी है कि उसे कोई महंगा कहने की हिम्मत कर ही नहीं सकता।
एक तो पाकिस्तान अपने यहां डेढ़ सौ-दो सौ रुपये किलो आटा बेचकर इसमें बड़ी मदद करता है। महंगाई समर्थक, जो वास्तव में तो सरकार समर्थक ही होते हैं, फौरन कान पकड़कर पाकिस्तान को बहस में ले आते हैं, देखो यह तो डेढ़ सौ-दो सौ रुपये किलो आटा खाकर भी कोई शिकायत नहीं करता है और तुम्हारी पचास में ही नानी मरने लगती है। हम पाकिस्तान से हार नहीं सकते। न जंग में, न क्रिकेट या हॉकी में। तो आटा खरीदने में ही कैसे हार जाएंगे। सो हम फौरन चुप हो जाते हैं। आटे की महंगाई का जिक्र बंद। देखो पाकिस्तान, पाकिस्तान होकर भी कितना काम आता है।
फिर आटे के महंगाड़े का रोना रोते ही तुरंत आटा के सामने डाटा आ खड़ा होता है। डाटा पूरी वफादारी से सरकार की रक्षा करता है और आटा उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। टाटा-बाटा ने आटा के सामने डट जाने का यह काम कभी नहीं किया। सीन कुछ यूं होता है कि विपक्ष ने अगर आगे किया आटा तो सरकार ने फौरन डपटा। दाल फिर भी महंगा होना अफोर्ड कर सकती है। वर्षों से वह शतक पर शतक मारे जा रही है फिर भी उसे गरीब का भोजन होने का तमगा हासिल है, वैसे ही जैसे सरकारें सेठों पर सब कुछ लुटाकर भी गरीब हितैषी बनी रह सकती हैं। यह कहावत अभी भी पूरी तरह प्रासंगिक बनी हुई है कि दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ। दाल में चाहे कितना ही काला हो, पर उसकी छवि हमेशा गरीबपरस्त ही रहेगी। इस मामले में सरकार विरोधियों की दाल बिल्कुल भी नहीं गलती। लेकिन टमाटर को यह सुविधा हासिल नहीं है। न आटे-दाल जैसी कोई कहावत उसके लिए है और न ही उस पर दाल की तरह गरीबपरस्त होने का ठप्पा लगा है। बल्कि कई बार तो वह किसी दीन का नहीं रहता। गरीब उससे इसलिए आंखें फेर लेते हैं कि वह महंगा है और शासक लोग सीख देने लगते हैं कि टमाटर खाते ही क्यों हो। जानते नहीं हो टमाटर खाने से पथरी हो जाती है। शतक मार भी टमाटर इसी दुविधा का शिकार है। यही उसकी त्रासदी है।