बंसीलाल का गढ़ रहे भिवानी में इस बार आमने-सामने की टक्कर
प्रदीप साहू/ हप्र
चरखी दादरी, 4 मई
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। इस संसदीय क्षेत्र में भिवानी-दादरी (पुराना भिवानी) जिले के रहने वाले भाजपा के धर्मबीर सिंह व इनेलो से सुभाष परमार सांवड़िया चुनाव मैदान में हैं।
अहीरवाल महेंद्रगढ़ क्षेत्र से कांग्रेस के राव दान सिंह और जजपा से पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह मैदान में आए हैं।
परिसीमन के बाद पहली बार ऐसा मौका है जब चौ़ बंसीलाल परिवार चुनाव मैदान में नहीं है। ऐसे में अब यह सीट भिवानी-दादरी जिला बनाम महेंद्रगढ़ जिला राजनीति का अखाड़ा बन गया है।
जाट व अहीर बाहुल्य संसदीय क्षेत्र में पहली बार किसी भी प्रमुख पार्टी ने कोई महिला को चुनाव मैदान में नहीं उतारा।
इस सीट से जातीय समीकरण हार-जीत की दिशा बदलेंगे।
जाट और यादव बाहुल्य वोटरों वाली भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर इस बार गैर-यादव और गैर-जाट मतदाता भी निर्णायक भूमिका में दिखाई देंगे। भिवानी व दादरी जिला (जो भिवानी का पुराना क्षेत्र रहा है) से भाजपा व इनेलो अपना भाग्य अजमा रही है। वहीं महेंद्रगढ़ जिले से कांग्रेस व जजपा के प्रत्याशी मैदान में हैं।
2009 के परिसीमन के बाद बनी सीट
वर्ष 2009 से परिसीमन में आई भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय सीट से अब तक हुए चुनावों में भिवानी-दादरी जिले के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। इस बार जहां कांग्रेस व जजपा ने अपना टारगेट महेंद्रगढ़ जिला को बनाकर अहीरवाल क्षेत्र में चौधर लाने का नारा दिया है।
वहीं भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने के लिए जद्दोजहद कर रही है। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से श्रुति चौधरी ने जीत दर्ज की थी और 2014 व 2019 के चुनाव में भाजपा के धर्मबीर सिंह जीते। ये दोनों ही भिवानी-दादरी जिले से हैं। अब तक इस संसदीय क्षेत्र में तीन बार हुए चुनावों में महेंद्रगढ़ के वोटरों का मिजाज ही जीत दिलवाने में अहम भूमिका निभाता रहा है।
इस बार के चुनाव में महेंद्रगढ़ जिले से दो प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं।
शायद, ये कारण हैं कि चुनाव को भिवानी-दादरी जिला बनाम महेंद्रगढ़ जिला बनाने की अंदरखाने कोशिशें हो रही हैं।
2009 में बनी भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट
2008 से पहले भिवानी और महेंद्रगढ़ दो अलग-अलग लोकसभा सीटें थीं, लेकिन 2008 में हुए परीसिमन में कुछ इलाकों को काटकर अलग कर दिया गया। बाकी इलाकों को मिलाकर एक नई सीट (भिवानी-महेंद्रगढ़) का गठन कर दिया गया। 1952 से लेकर 2008 तक इस सीट का कोई अस्तित्व नहीं था। पहली बार 2009 के चुनावों में यह सीट वजूद में आई थी।
एक बार कांग्रेस, दो बार भाजपा जीती
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट अस्तित्व में आने के बाद 2019 तक तीन चुनाव हुए, जिनमें से दो चुनावों में भाजपा जबकि एक चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। 2009 के पहले चुनाव में कांग्रेस की श्रुति चौधरी ने इनेलो के अजय चौटाला को हराया था। वहीं 2014 व 2019 के चुनाव में लगातार दो बार भाजपा के धर्मबीर सिंह चुनाव जीते हैं। भाजपा के धर्मबीर सिंह तीसरी बार हैट्रिक लगाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की नीतियों को लेकर मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस के राव दान सिंह पहली बार संसद भवन जाने के लिए वर्करों व सरकार विरोधी मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में हैं। जजपा के राव बहादुर सिंह 2014 के चुनाव में इनेलो की टिकट से दूसरे स्थान पर रहे वे अब दूसरी बार जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
भिवानी में जाट, महेंद्रगढ़ में यादव वोटर्स अधिक
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कुल 15 लाख 66 हजार 494 मतदाता हैं। इनमें 8 लाख 31 हजार 608 पुरुष और 7 लाख 34 हजार 883 महिला वोटर हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में 11 लाख 61 हजर 115 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया किया था। भिवानी-दादरी में जाट तो महेंद्रगढ़ में यादव वोटरों की संख्या ज्यादा है।
एलसी जोशी होंगे आजाद उम्मीदवार
कनीना (निस) : समाजसेवी डाॅ. एलसी जोशी भिवानी-महेंद्रगढ लोकसभा चुनाव क्षेत्र से आजाद उम्मीदवार के तौर पर उतरेंगे। सोमवार को वो अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। अटेली हलके के गांव राताकलां निवासी डॉ. जोशी के नामांकन दर्ज करने दौरान प्रबुद्ध जन उपस्थित रहेंगे। डाॅ. एलसी जोशी छात्र जीवन से राजनीति से जुड़े रहे हैं, वर्तमान में ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं।