इस बार सरकार के हाथ ‘खाली’, 2019 में थी रोहतक की ‘चौधर’
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
रोहतक, 20 मई
रोहतक संसदीय क्षेत्र के राजनीतिक हालात साल 2019 के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद काफी बदल चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान रोहतक सत्ता का बड़ा केंद्र था। तीन हेवीवेट मंत्रियों के अलावा पार्टी के पास यहां से निर्वाचित विधायक भी थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में रोहतक व झज्जर जिले में भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका। अब प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस इसे अपने लिए बड़ा और मजबूत आधार मानकर चल रही है। हालांकि भाजपा के पूर्व मंत्री और नेताओं के अलावा संघ ने चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है। सीट पर कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। महम, गढ़ी-सांपला-किलोई, झज्जर, बहादुरगढ़ व बादली हलके के गांवों के दौरों के दौरान यह बात पूरी तरह से स्पष्ट होती प्रतीत हुई कि ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस को शिकस्त दे पाना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। बेशक, भाजपा ने गांवों में पूरी फील्डिंग की हुई है, लेकिन इसका कितना असर होता है, यह चुनावी नतीजों के बाद ही साफ होगा। वहीं शहरों में भाजपा के प्रभाव को नकारने की भूल नहीं की जा सकती।
2019 में रोहतक से तत्कालीन विधायक मनीष ग्रोवर सहकारिता मंत्री थे। बादली विधायक ओमप्रकाश धनखड़ विकास एवं पंचायत, पशुपालन सहित कई विभागों के मंत्री थे। रोहतक के ही रहने वाले कैप्टन अभिमन्यु, मनोहर सरकार में वित्त, राजस्व, अाबकारी एवं कराधान सहित कई विभागों के हेवीवेट मंत्री थे। वे विधायक बेशक, नारनौंद से थे, लेकिन उनका इस इलाके में भी प्रभाव था। वे दो बार रोहतक से पार्लियामेंट का चुनाव भी लड़ चुके थे। बहादुरगढ़ में भाजपा के नरेश कौशिक और कोसली में विक्रम ठेकेदार विधायक थे। वहीं वर्तमान में रोहतक व झज्जर जिले में भाजपा का एक भी विधायक नहीं है। रोहतक संसदीय सीट के नौ हलकों में से केवल कोसली में भाजपा के लक्ष्मण यादव विधायक हैं। गढ़ी-सांपला-किलोई से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रोहतक में कांग्रेस के बीबी बतरा, कलानौर में शकुंतला खटक, झज्जर में गीता भुक्कल, बेरी में डॉ़ रघुबीर सिंह कादियान, बादली में कुलदीप वत्स और बहादुरगढ़ में राजेंद्र जून विधायक हैं। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी सरकार के खिलाफ चल रहे हैं।
हालांकि पूर्व सहकािरता मंत्री मनीष ग्रोवर, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़, तिजारा विधायक बाबा बालकनाथ, वरिष्ठ नेता सतीश नांदल, शमशेर सिंह खरकड़ा सहित कई नेता भाजपा उम्मीदवार अरविंद शर्मा के चुनाव की कमान संभाले हुए हैं। पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। लोकसभा चुनाव प्रभारी व सीएम के पूर्व मीडिया एडवाइजर राजीव जैन ने भी रोहतक में ही डेरा डाला हुआ है। शुरुआती दौर में भाजपा में गुटबाजी देखने को मिल रही थी, लेकिन अब सभी नेता पूरे मन से चुनावी रण में डटे दिख रहे हैं।
कांग्रेस के मौजूदा विधायकों के अलावा भाजपा के नेताओं को भी यह अच्छे से पता है कि लोकसभा चुनावों के नतीजों का असर उनके निर्वाचन क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। ऐसे में दोनों ही ओर से हलका स्तर पर फील्डिंग जमाई हुई है। वोटरों को न केवल मनाया जा रहा है, बल्कि उन्हें बूथ तक लाने की भी प्लानिंग हो रही है। एक रोचक पहलू यह भी देखने को मिल रहा है कि कांग्रेस जहां गांवों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। वहीं भाजपा चाहती है कि शहरी मतदाताओं को घरों से बाहर लेकर आया जाए ताकि मतदान प्रतिशत बढ़ सके।
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महम के चबूतरे से
महम का चबूतरा किसी पहचान का मोहताज नहीं है। सामाजिक और पंचायती तौर पर बड़े विवादों को सुलझाने में चौबीसी के चबूतरे का अपना इतिहास है। जब भी कोई बड़ा मसला सामने आता है या फिर कोई फैसला करना होता है तो इस चबूतरे पर बड़ी पंचायत होती है। हुक्का भी इस इलाके की पहचान है। ऐसे में चबूतरे के सामने हिसार-रोहतक सड़क पर ‘हुक्का चौराहा’ भी बनाया गया है। इस चौराहे पर बड़ा हुक्का स्थापित किया हुआ है। महम के ऐतिहासिक चबूतरे पर इसी कस्बे के रहने वाले राजबीर सिंह व अनिल कुमार ने कहा – इस बार का चुनाव पिछले चुनाव से भी अधिक दिलचस्प है। उन्होंने माना कि सरकार के खिलाफ एंटी-इन्कमबेंसी है। साथ ही, यह बात भी कही कि सरकार में काम भी हुए हैं। वे कहते हैं कि आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों को पांच लाख तक मुफ्त उपचार की गारंटी दी है। दलबीर सिंह व राजेश ने कहा – नौकरियां हुड्डा सरकार में सबसे अधिक मिली थीं। उनका कहना है कि विकास कार्य भी हुड्डा सरकार में ही अधिक हुए थे। मोखरा के बलबीर ने कहा – इस बार पहले वाले हालात नहीं हैं। परिस्थितियां बदली हुई हैं। लाखनमाजरा के विजय कहते हैं – दीपेंद्र हुड्डा के कार्यों को लोग याद कर रहे हैं। सुंदरपुर के रजनीश का कहना है कि पीएम मोदी की गारंटी का गांवों में असर है।
तीन बार ही जीती है भाजपा
रोहतक लोकसभा सीट पर भाजपा अभी तक केवल तीन बार ही चुनाव जीती है। सबसे पहले 1962 में भारतीय जनसंघ की टिकट पर लहरी सिंह सांसद बने थे। इसके बाद 1971 में भारतीय जनसंघ से दूसरे सांसद – मुख्तयार सिंह मलिक चुने गए। लम्बे अरसे के बाद 2019 में अरविंद शर्मा ने रोहतक में भाजपा का परचम लहराया। भाजपा हुड्डा परिवार के प्रभाव वाली इस संसदीय सीट पर लगातार दूसरी बार कमल खिलाने की जुगत में है।
दादा से पोते तक का सफर
रोहतक लोकसभा सीट पर कांग्रेस टिकट पर पहला चुनाव यानी 1962 में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा ने जीता था। वे 1957 में लगातार दूसरी बार भी सांसद बने। चौ. रणबीर सिंह ज्वाइंट पंजाब में मंत्री भी रहे। भाखड़ा डैम निर्माण में उनकी अहम भ्ूमिका रही। वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहली बार 1991 में रोहतक से पार्लियामेंट चुनाव जीता। उन्होंने यह चुनाव दिग्गज और हेवीवेट नेता चौ. देवीलाल को हराकर जीता। इसके बाद हुड्डा ने 1996 और 1998 में भी देवीलाल को शिकस्त देकर जीत की हैट्रिक लगाई। 1999 में कारगिल युद्ध के प्रभाव के चलते हुड्डा इनेलो के कैप्टन इंद्र सिंह के हाथों चुनाव हारे। 2004 में हुड्डा ने रोहतक से चौथी बार जीत हासिल की।
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ऐसे हुई दीपेंद्र की एंट्री
2004 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2005 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए। 2005 में 67 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई कांग्रेस ने हुड्डा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। ऐसे में उन्होंने रोहतक लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया और वे किलोई से विधायक बने। रोहतक में हुए उपचुनाव के जरिये पहली बार दीपेंद्र हुड्डा की चुनावी राजनीति में एंट्री हुई। दीपेंद्र ने जीत हासिल की। इसके बाद वे 2009 और 2014 में भी चुनाव जीते और हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे। 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी के प्रभाव के बावजूद दीपेंद्र अपनी सीट को बचाने में कामयाब रहे थे लेकिन 2019 में वे अरविंद शर्मा के हाथों चुनाव हारे।