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कर्ण नगरी में इस बार ‘अनुभव’ और ‘जोश’ के बीच होगी जंग

08:01 AM Apr 27, 2024 IST
मनोहर लाल
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विनोद लाहोट/निस
समालखा, 26 अप्रैल
लम्बी कशमकश के बाद कांग्रेस ने हरियाणा की सबसे हॉट संसदीय सीट-करनाल से जोश और उत्साह से लवरेज युवा पंजाबी चेहरे दिव्यांशु बुद्धिराजा को भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मुकाबले चुनावी रण में उतारा है। करनाल संसदीय सीट पर अब अनुभव व जोश के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इस मुकाबले में संगठन और राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी पूर्व सीएम मनोहर लाल का लम्बा अनुभव है तो दूसरी ओर पंजाब यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से निकले दिव्यांशु का जोश। दिव्यांशु पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे व राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। उन्हीं से प्रेरित होकर 2013 में दिव्यांशु ने दि नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ज्वाइन की थी। छात्र राजनीति के बाद दिव्यांशु करीब दो वर्ष पहले हरियाणा युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष चुने गए थे। काफी समय से दिव्यांशु कांग्रेस में एक बड़े युवा पंजाबी चेहरे के रूप में खुद को प्रोजेक्ट कर रहे हैं। इसी के बूते वे करनाल में भाजपा के बड़े पंजाबी चेहरे मनोहर लाल के सामने टिकट पाने में कामयाब भी हुए।
पार्टी सूत्रों की मानें तो हुड्डा खेमे ने करनाल सीट से अपने दो समर्थकों कुलदीप शर्मा के बेटे चाणक्य पंडित और युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा का नाम चला रखा था। पूर्व मंत्री सैलजा व रणदीप सुरजेवाला के समर्थक भी टिकट के लिए कतार में थे मगर टिकट वितरण में दबदबा हुड्डा खेमे का ही दिखा। बताते हैं कि कांग्रेस हाईकमान के समक्ष हुड्डा करनाल सीट से ब्राह्मण या पंजाबी चेहरे को ही टिकट देने के लिए पुरजोर वकालत कर रहे थे।
चार बार के सांसद रहे चिरंजीलाल शर्मा के पौत्र चाणक्य पंडित बतौर ब्राह्मण और युकां के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा बतौर पंजाबी चेहरा कतार में थे मगर यहां दिव्यांशु के लिए दीपेंद्र हुड्डा भी जोर लगा रहे थे। युवाओं में अच्छी पैठ, चर्चित शख्सियत और हुड्डा खेमे की जोरदार पैरवी के बूते दिव्यांशु टिकट पाने में कामयाब रहे। अब देखना यह होगा कि इस सियासी समर के दौरान अनुभव और जोश की जंग में जीत किसकी होती है।

दिव्यांशु बुद्धिराजा

कांग्रेस ने खेला पंजाबी कार्ड
करीब 10 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल के समक्ष उम्मीदवार उतारना कांग्रेस के लिए चुनौती मानी जा रही थी। हर किसी की नजर यहां से कांग्रेस के भावी उम्मीदवार पर टिकी थी। कांग्रेस से उम्मीदवारों में कभी वीरेंद्र राठौर तो कभी पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा के पुत्र चाणक्य पंडित का नाम प्रमुखता से लिया रहा था। इन सब के बीच दो दिन पहले एनसीपी के नेता वीरेंद्र मराठा का नाम भी सामने आया था। पानीपत से बड़ा पंजाबी चेहरा वरिंदर शाह का नाम भी कई बार चर्चाओं में आया, लेकिन बृहस्पतिवार को कांग्रेस की सूची में सभी अटकलें और प्रयास धरे रह गए, जब यहां से दिव्यांशु बुद्धिराजा को उम्मीदवार घोषित किया गया।
भितरघात का भी करना पड़ सकता है सामना
करनाल लोकसभा से टिकट के दावेदारों में वीरेंद्र राठौर सबसे आगे थे। वहीं ब्राह्मणों में पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा के पुत्र चाणक्य पंडित टिकट के मजबूत दावेदार थे। वे दोनों लोकसभा क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क भी कर रहे थे। इनके बीच अब वीरेंद्र मराठा भी आ गए थे। वीरेंद्र मराठा ने टिकट के लिए काफी प्रयास किया। इन सबके बीच बुद्धिराजा को टिकट मिलने के बाद भितरघात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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