कर्णनगरी में लगातार दूसरा मौका जब मुख्यमंत्री होंगे वोटरों के द्वार
रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 17 अप्रैल
कर्णनगरी-करनाल में लगातार दूसरा मौका होगा जब मुख्यमंत्री वोटरों के द्वार पर होंगे। बदली हुए राजनीतिक परिस्थितियों के चलते करनाल में उपचुनाव हो रहा है। प्रदेश में लोकसभा की दस सीटों के साथ ही 25 मई को ही करनाल हलके में होने वाले उपचुनाव के लिए भी मतदान होगा। बेशक, उपचुनाव के बाद करनाल के विधायक का कार्यकाल करीब पांच महीनों का होगा, लेकिन नेताओं को जोर पांच साल जितना ही लगाना होगा।
सत्तारूढ़ भाजपा के लिए करनाल का उपचुनाव सबसे बड़ी अग्नि-परीक्षा है। वहीं प्रमुख विपक्षी दल - कांग्रेस को लगता है कि उपचुनाव में जीत के बाद इस बेल्ट में उसकी पकड़ और मजबूत होगी। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को प्रत्याशी घोषित किया जा चुका है। वहीं कांग्रेस नेताओं में टिकट को लेकर मारामारी चल रही है। टिकट के लिए कई नेता दावेदार हैं, लेकिन उपचुनाव में बाहरी और स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा अभी से गरमा गया है।
2014 के बाद से अभी तक करनाल को स्थानीय नेता नहीं मिला है। 2014 में भाजपा ने मनोहर लाल को अपना प्रत्याशी बनाया था। बेशक, करनाल के लोगों के लिए मनोहर लाल नये फेस थे लेकिन कहीं ने कहीं मतदाताओं को यह अहसास हो गया था कि भाजपा की सरकार बनने पर वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं। पहले ही चुनाव में लोगों ने उन्हें पूरा समर्थन दिया। वे 82 हजार 485 वोट लेकर 63 हजार 773 मतों के अंतर से पहला चुनाव जीते।
उनके मुकाबले निर्दलीय प्रत्याशी जय प्रकाश गुप्ता को 18 हजार 712 वोट हासिल हुए। वहीं इनेलो के मनोज वधवा को 17 हजार 685 और कांग्रेस के सुरेंद्र नरवाल को महज 12 हजार 804 मत मिले। अक्तूबर-2014 के विधानसभा चुनावों में 47 सीटों के साथ पहली बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई भाजपा ने मनोहर लाल को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद मनोहर लाल ने 2019 में लगातार दूसरी बार करनाल से चुनाव लड़ा। लेकिन वे इस बार बतौर मुख्यमंत्री चुनाव लड़ रहे थे।
हालांकि दूसरे चुनाव में उनका जीत का अंतर कम हुआ लेकिन उनके सामने किसी तरह की रुकावट नहीं आई। 2019 में मनोहर लाल ने 79 हजार 906 वोट हासिल किए और उनके सामने कांग्रेस के त्रिलोचन सिंह को 34 हजार 718 वोट मिले। 12 मार्च को मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके एक ही दिन बाद यानी 13 मार्च को उन्होंने करनाल विधानसभा सीट से भी इस्तीफा दे दिया। इसी दिन भाजपा ने उन्हें करनाल से लोकसभा उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।
दरअसल, मनोहर लाल ने नायब सैनी के लिए ही करनाल सीट खाली की ताकि वे उपचुनाव में जीत हासिल करके आगामी विधानसभा चुनावों तक आसानी से काम कर सकें। वर्तमान में नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद हैं। उन्हें बिना विधायक हुए सीएम बनाया गया है। नियमों के तहत उन्हें छह महीनों के अंदर विधायक बनना होगा। इसी वजह से उन्हें करनाल से चुनाव लड़वाया जा रहा है। इससे पहले 2014 में नायब सिंह सैनी अंबाला जिला के नारायणगढ़ हलके से विधायक रहे हैं।
कांग्रेसियों में छिड़ा घमासान
करनाल हलके से उपचुनाव के लिए कांग्रेस के कई नेताओं में टिकट को लेकर भागदौड़ चल रही है। 2019 में चुनाव लड़ने वाले त्रिलोचन सिंह भी टिकट के प्रबलतम दावेदार माने जा रहे हैं। यहां से विधायक रह चुकी सुमिता सिंह के नाम की भी चर्चा है। कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, इंद्री से पूर्व विधायक भीमसेन मेहता व अरुण पंजाबी के अलावा और भी कई ऐसे नेता हैं, जो टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। स्थानीय कांग्रेसियों में इस बात को लेकर भी चर्चा है – अगर इस बार पार्टी ने स्थानीय नेता को टिकट दिया तो मुकाबला रोचक होगा। बाहरी को टिकट देना महंगा पड़ सकता है।
तो हुड्डा करेंगे प्रत्याशी का फैसला
दिल्ली से जुड़े कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि करनाल उपचुनाव के प्रत्याशी को लेकर पार्टी नेतृत्व ने पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर फैसला छोड़ा है। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में लोकसभा प्रत्याशियों को लेकर तो चर्चा हुई है लेकिन करनाल के प्रत्याशी को लेकर पूर्व सीएम को पैनल बनाने को कहा गया है। वहीं दूसरी ओर, एंटी हुड्डा खेमा की ओर से पार्टी नेतृत्व को दलील दी है कि अगर करनाल से मजबूत चेहरे को टिकट दिया जाता है तो मुख्यमंत्री का चुनाव फंस सकता है। बहरहाल, कांग्रेस प्रत्याशी पर करनाल के अलावा पूरे प्रदेश के लोगों की नज़र है।
जानिए कब कौन रहा विधायक
वर्ष विधायक
1967 राम लाल
1968 शांति प्रसाद
1972 राम लाल
1977 राम लाल
1982 शांति देवी
1987 लक्ष्मण दास
1991 जय प्रकाश गुप्ता
1996 शशिपाल मेहता
2000 जय प्रकाश गुप्ता
2005 सुमिता सिंह
2009 सुमिता सिंह
2014 मनोहर लाल
2019 मनोहर लाल