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उमंग की सोच से तन-मन की सेहत

07:51 AM Sep 11, 2024 IST
उमंग की सोच से तन मन की सेहत
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राजेंद्र कुमार शर्मा
स्वास्थ्य एक अनमोल संपत्ति है, जिसे बनाए रखने के लिए हमें न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहिए, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना आवश्यक है। आज के समय में, जहां जीवन की गति बहुत तेज हो गई है, लोग अक्सर नकारात्मक सोच के शिकार हो जाते हैं। ये नकारात्मक विचार हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं।
नकारात्मकता और सकारात्मकता मानव व्यक्तित्व के ऐसे दो पहलू हैं जिनके ताने-बाने में बुनकर ही सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण होता है। जीवन में सदा नकारात्मकता रहे ऐसा संभव नहीं और सदा सकारात्मकता रहे ऐसा भी मुमकिन नहीं होता, फिर चाहे आपकी सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक या पारिवारिक स्थिति व स्तर कुछ भी हों। जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना हर किसी को करना पड़ता है शायद यही नियति है। पर सकारात्मक और नकारात्मक विचारों या आदतों का हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है।

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वैज्ञानिक शोधों के निष्कर्ष

विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. रिचर्ड जे. डेविडसन का मानना है सकारात्मक भावनाओं और स्वास्थ्य के बीच के संबंध में अंतर्निहित तंत्र को समझने के लिए मस्तिष्क सर्किट को समझना महत्वपूर्ण है। ब्रेन इमेजिंग का उपयोग करके, डेविडसन और अन्य लोगों ने पाया है कि सकारात्मक भावनाएं मस्तिष्क के भीतर गहरे स्थित ‘इनाम या रिवार्ड’ केंद्रों को क्रियाशील बनाती हैं जिसमें वेंट्रल स्ट्रिएटम नामक क्षेत्र भी शामिल है। मस्तिष्क का यह क्षेत्र प्रेरणा, पुरस्कार के अलावा मन के स्तर पर कई पहलुओं को प्रभावित करता है

विचारों में मस्तिष्क की भूमिका

कई शोधों व अध्ययनों में सामने आया है कि जो व्यक्ति सकारात्मक भावनाओं से ओत-प्रोत रहता है उसके मस्तिष्क के वेंट्रल स्ट्रिएटम में स्थायी सक्रियता रहती है। मस्तिष्क के इस हिस्से की निरंतर सक्रियता शरीर में स्वास्थ्यवर्धक परिवर्तन लाती है। इसके विपरीत, नकारात्मक भावनाएं मस्तिष्क के एमिग्डाला क्षेत्र को सक्रिय करती हैं जो डर और चिंता उत्पन्न करता है। शोध बताते हैं कि यह क्षेत्र जितनी जल्दी सामान्य स्थिति में आता है उतना ही स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद रहता है और स्वास्थ्य जोखिम कम हो जाते हैं।

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निगेटिविटी का स्वास्थ्य पर प्रभाव

मानसिक स्वास्थ्य : नकारात्मक आदतों का सबसे अधिक प्रभाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। लगातार नकारात्मक विचारों में उलझे रहने से चिंता, तनाव, और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इससे हमारे मनोबल और आत्म-सम्मान में कमी आती है, और हम खुद को निराश और असहाय महसूस करने लगते हैं।
शारीरिक सेहत : मानसिक तनाव और चिंता का सीधा प्रभाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, नींद की समस्याएं और पाचन संबंधी समस्याएं नकारात्मक प्रवृत्तियों के कारण हो सकती हैं। इसके अलावा, ये हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकती हैं, जिससे हम बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
संबंधों पर प्रभाव : नकारात्मक आदतें हमारे संबंधों को भी प्रभावित कर सकती हैं। नकारात्मक सोच और व्यवहार के कारण हम अपने प्रियजनों से दूरी बनाने लगते हैं, और हमारे सामाजिक संबंध कमजोर हो जाते हैं। इससे हमें अकेलापन और सामाजिक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है।

ताकि पास न फटके निगेटिव सोच

धनात्मक सोच को अपनाएं : नकारात्मक विचारों को पहचानकर उन्हें धनात्मक सोच से बदलने का प्रयास करें। सकारात्मक आत्म-चर्चा करें और खुद को प्रोत्साहित करें।
व्यायाम, ध्यान और आत्मचिंतन : ध्यान और योग जैसी तकनीकें हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं। ये हमें मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करती हैं, जिससे हम नकारात्मक भावनाओं से बच सकते हैं। ऐसा पाया गया है कि व्यायाम, ध्यान, आत्मचिंतन के अभ्यासी सकारात्मक भावनाओं को बेहतर ढंग से बनाए रखने में सक्षम हैं।
स्वास्थ्यकर जीवनशैली अपनाएं: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और पर्याप्त नींद हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इससे हमारे मानसिक तनाव और चिंता कम होती है।
उत्साही लोगों का संग : उत्साही और प्रेरणादायक लोगों के साथ समय बिताएं। उनके साथ संवाद करें और अपनी समस्याओं को साझा करें। इससे आपको मानसिक समर्थन मिलेगा और आप नकारात्मक विचारों से बच सकेंगे।
व्यवस्थित दिनचर्या : अपने दिन की योजना बनाएं और उसे व्यवस्थित रूप से पूरा करने का प्रयास करें। इससे आप अपने कार्यों में व्यस्त रहेंगे और नकारात्मक विचारों के लिए समय नहीं बचेगा।
हम अनुभव की जाने वाली भावनाओं पर कुछ हद तक नियंत्रण रख सकते हैं। सकारात्मक सोच रखने से आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। स्वास्थ्य के लिए नकारात्मकता को अपने करीब भी न आने देना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखता है, बल्कि एक खुशहाल और संतुलित जीवन जीने के मामले में भी हमारे लिए मददगार हैै।

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