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मेरे ये आंसू मेरी बेजुबानियां... तेरी मेहरबानियां, तेरी कदरदानियां

06:56 AM Feb 09, 2024 IST
मेरे ये आंसू मेरी बेजुबानियां    तेरी मेहरबानियां  तेरी कदरदानियां
बर्फ में अपने मालिक के शव की रखवाली करने वाला अल्फा। - दैनिक ट्रिब्यून
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रविंदर सूद
पालमपुर, 8 फरवरी
वर्ष 1985 में निर्मित जैकी श्रॉफ और पूनम ढिल्लों अभिनीत हिंदी फिल्म ‘तेरी मेहरबानियां’ में एक कुत्ते की वफादारी का भावपूर्ण चित्रण किया गया है। ऐसी ही एक कहानी पिछले दिनों भी सुनने को मिली। यह कहानी ‘रील लाइफ’ नहीं, ‘रियल लाइफ’ की थी। इस दुखद सत्य घटना में मालिक की मौत हो जाती है। मामला है पालमपुर के बिलिंग क्षेत्र का। इस बर्फीले इलाके में एक जर्मन शेफर्ड ‘अल्फा’ कड़कड़ाती ठंड में 9000 फुट ऊंचाई पर अपने मालिक अभिनंदन गुप्ता के पार्थिव शरीर के पास 48 घंटे तक बैठा रहा। पालतू कुत्ते ने न केवल खुद को बल्कि अपने मालिक और उसके दोस्त के शव को भी भालू और तेंदुए जैसे जंगली जानवरों से बचाया। दोनों के शवों को देखकर लगता था कि इन पर जानवरों ने हमला किया होगा और कुत्ता उनसे जूझा होगा। परिजन ने कहा कि अब अल्फा ही अभिनंदन की एकमात्र स्मृति है।
पठानकोट के गुप्ता और पुणे की रहने वाली उनकी दोस्त प्रणीता बाल साहिब एक कार से रविवार दोपहर को पालमपुर के पास लोकप्रिय पर्यटन स्थल बिलिंग गए थे। भारी बर्फबारी के कारण उन्होंने कार बीच में ही छोड़ दी और अपने पालतू कुत्ते अल्फा के साथ पैदल चल पड़े। बीड़ के पास चोगान में अपने बेस कैंप पर लौटते समय दोनों भारी बर्फ में फिसल गए और गहरी खाई में गिर गए। दोनों ने निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहे। माना जा रहा है कि अत्यधिक ठंड और चोट लगने के कारण दोनों की मौत
हो गयी।
पुलिस और पैरा-ग्लाइडर की बचाव टीम ने कुत्ते को शवों के पास बैठा देखा। कुत्ता भी बेहद गमगीन था और ‘रो’ रहा था। मानो बचाव टीम को बुला रहा हो। चोटिल अल्फा बचाव दल के आने तक मंगलवार तक 48 घंटों तक दोनों शवों की रखवाली करता रहा। बता दें कि अभिनंदन गुप्ता और प्रणिता रविवार से लापता थे। दोनों के फोन भी बंद आ रहे थे। मंगलवार को बचाव दल ने जब एक बर्फीले इलाके में कुत्ते को भौंकते देखा तो दोनों के शवों को निकाला जा सका।

बचाव दल की दो टीमें भेजी गयी थीं

बचाव दल पुलिस ने बताया, ‘शाम करीब 7 बजे हमें लड़के के जीजा का फोन आया कि वह घर नहीं पहुंचा है। लांबर मोड़ के पास के इलाके की तलाशी के लिए बचाव दल का गठन किया गया। उन्हें आखिरी बार कुछ अन्य पर्यटकों द्वारा एक पहाड़ी पर देखा गया था, इसलिए पहाड़ी के दोनों ओर दो टीमें भेजी गईं। आख़िरकार उनके शव पिछले 48 घंटों से जर्मन शेफर्ड की रखवाली के बीच मिल गए।’ एसएचओ बीर दलीप सकलानी ने कहा कि रोते हुए कुत्ते को अपने मालिक के आसपास घूमते हुए देखना दिल दहलाने वाला दृश्य था। उन्होंने कहा कि जब पुलिस ने कुत्ते को खाना दिया तो उसने नहीं खाया।

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