For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

अब मूक रहने का कोई औचित्य नहीं

09:53 AM Sep 28, 2024 IST
अब मूक रहने का कोई औचित्य नहीं
चंडीगढ़ में शुक्रवार को कार्यक्रम को संबोधित करते पर्यायवरणविद् सोनम वांगचुक। -दैनिक ट्रिब्यून
Advertisement

मनीमाजरा (चंडीगढ़), 27 सितंबर (हप्र)
हिमालय विशेषकर लेह के संरक्षण के लिये प्रयासरत पर्यायवरणविद् सोनम वांगचुक द्वारा 1 सितंबर को लेह से शुरू उनका ‘चलो दिल्ली क्लाईमेट मार्च’ शुक्रवार को चंडीगढ़ पहुंचा। मार्च के 26वें दिन उनका स्वागत सेक्टर 38 स्थित गुरुद्वारा साहिब में स्थानीय लद्दाखी स्टूडेंट्स एसोसियेशन के सदस्यों ने पारम्परिक खत्ता पहना कर किया। इस पदयात्रा में उनके साथ लगभग 150 समर्थक भी शामिल हैं। यह यात्रा लगभग 900 किलोमीटर की है जो कि 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के अवसर पर दिल्ली में सम्पन्न होगी।
इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुये उन्होंने हिमालय राज्यों के साथ लद्दाख के भविष्य पर गहन चिंता व्यक्त की। उन्होंनेें कहा कि पर्वतीय प्रदेश अब अपने ब्रकिंग प्वाइंट की ओर अग्रसर हैं। मानवीय गतिविधियों ने ग्लोबल वार्मिंग को अत्यधिक बढ़ावा दिया है जिससे की क्लाईट चेंज के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। हिमालयी क्षत्रों में बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचा दी है। इसके अलावा मानवीय गतिविधियां जैसे अनियंत्रित पर्यटन को बढ़ावा, जंगलों काे काटना, प्रदूषण, माईनिंग प्रकृति को ओर अधिक हानियां पहुंचा रही हैं। हिमालय का समूचा क्षेत्र लद्दाख से अरुणाचल तनाव में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक राजनीति नहीं है बल्कि लोग, उनकी सभ्यता, उनकी संस्कृति और जमीन को बचाने की बात है। उन्होंने कहा कि पदयात्रा के माध्यम से शुरू की गई इस गांधीगिरि इस बात की सूचक है कि अब मूक रहने का कोई औचित्य नहीं है। वांगचूक ने यह भी मांग की कि लद्दाख को पूर्ण रूप से स्टेटहुड दिया जाना चाहिये। यूटी को विधानसभा दी जानी चाहिए नहीं तो लद्दाख हमेशा की तरह मूकदर्शक बना रह जायेगा।

Advertisement

Advertisement
Advertisement