मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

खरखौदा के सामान्य अस्पताल में एसएमओ और स्टाफ में खींचतान, नहीं सुलझा मामला

09:51 AM Jul 18, 2024 IST
खरखौदा के सरकारी अस्पताल में धरनारत स्वास्थ्यकर्मियों से मामले को निपटाने के लिए बातचीत करते विधायक जयवीर वाल्मीकि।-हप
Advertisement

खरखौदा (सोनीपत), 17 जुलाई (हप्र)
शहर के उपमंडल स्तरीय सामान्य अस्पताल में कार्यरत दो एसएमओ व स्टाफ सदस्यों के बीच चली आ रही खींचतान थमने की बजाय और तूल पकड़ गई। बुधवार को एक एसएमओ, कई डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों ने मिलकर अस्पताल परिसर में धरना शुरू कर दिया। धरने पर पहुंचकर विधायक जयवीर वाल्मीकि ने भी मामला निपटवाने के प्रयास किये। वहीं सीएमओ ने भी खरखौदा आकर मामला सुलझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बन पाई। उधर, धरनारत चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों ने साफ कर दिया है कि वह एसएमओ डॉ. आशा सहरावत व स्टाफ नर्स राजेश के तबादले से कम कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। समाधान न होने पर जल्द ही इस धरने को जिला स्तर व उसके बाद प्रदेश स्तर पर ले जाया जाएगा। इस मामले में आसपास की कई पंचायतों के धरनारत कर्मियों के साथ आने से मामला बढ़ता जा रहा है। अस्पताल के इस मामले को सुलझाने के लिए बुधवार को खुद सीएमओ डॉ. जयकिशोर, डिप्टी सीएमओ डॉ. गीता दहिया के साथ पहुंचे। एसएमओ डॉ. सत्यपाल की अगुवाई में धरने से एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने पहुंचा। इस पर सीएमओ ने एसएमओ डॉ. सत्यपाल को कार्यालय के लिए कमरा उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया, लेकिन इसके बाद स्टॉफ सदस्य यह कहते हुए उनके कमरे से बाहर निकल आए कि उन्हें बात रखने से ही रोका जा रहा है, सभी को चुप करवाया जा रहा है। ऐसे में वह कोई बात करना ही नहीं चाहते।
डिप्टी सीएमओ की बातों को नकारा : डिप्टी सीएमओ डॉ. गीता दहिया धरने पर पहुंची और एसएमओ, चिकित्सकों व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को एक-एक कर सीएमओ से मिलकर अपनी बात रखने को कहा। धरना देने वाले इस बात पर अड़ गए कि एसएमओ डॉ. आशा व स्टॉफ राजेश के तबादले से कम उन्हें अब कुछ मंजूर नहीं है।
अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई : अस्पताल कर्मियों के धरने पर जाने से खरखौदा में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है, बुधवार को सिर्फ आपात सेवाएं ही चली, ओपीडी बंद रहने से मरीजों को भटकना पड़ा। करीब 20 ओपीडी कार्ड बनाए गए, जिसमें से भी कई के बाद में पैसे वापिस कर दिए गए।

'' मामले को पंचायत में लेकर पहुंचना गलत है। पहले मेरे पास आते और मुझ से समाधान नहीं होता तो स्टाफ डीसी साहब से मिल सकता था। समाधान करने आया हूं, लेकिन मामला सिर्फ एसएमओ को कमरा देने तक सीमित नहीं है बल्कि कुछ और ही मामला चल रहा है, जिसे देखते हुए जल्द कार्रवाई होगी। वहीं अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर नहीं पड़ने दिया जायेगा। ''
-डॉ. जयकिशोर, सीएमओ, सोनीपत

Advertisement

Advertisement
Advertisement