इस कमाल का न रहे कोई मलाल!
सहीराम
एक कमाल कोरोना काल में हुआ था जी और एक कमाल अब हुआ है। हालांकि, कई लोगों को इस पर एतराज हो सकता है कि चमत्कार को कमाल क्यों कहा जा रहा है। पर जी, यहां तो कमाल को ही कोई कमाल नहीं मान रहा, तो फिर चमत्कार को कौन चमत्कार मानेगा। फिर भी यह तो मानना ही पड़ेगा कि एक कमाल कोरोना काल में हुआ था और एक कमाल अब हुआ है। बीच में काफी समय गुजर गया गया, जिसे मुहावरे में कहा जाए तो यूं होगा कि इस बीच गंगा में बहुत पानी बह गया। यूट्यूब तो खैर ऐसे कमालों से भरा पड़ा है, बल्कि वहां तो चमत्कार होने के दावे भी खूब किए जाते हैं। लेकिन हम जिन दो कमालों की बात कर रहे हैं, वे किसी नीम-हकीम या किसी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे ने नहीं किए हैं। वैसे बीमारी में किस तरह का इलाज लेना चाहिए, यह सलाह देने का हक हमारे यहां सिर्फ नीम-हकीमों को ही नहीं बल्कि हर नागरिक को है और इस मामले में हम बड़े ही लोकतांत्रिक देश हैं।
पर यह कमाल तो बाकायदा प्रतिष्ठित लोगों ने किए हैं। कोरोना काल में एक कमाल बाबा रामदेव ने किया था, जब उन्होंने कोरोना के टीके आने से पहले ही कोरोनील नाम से कोरोना की दवा बना देने का दावा कर दिया था। और यह दावा उन्होंने बाकायदा देश के स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में किया था। अब कोरोना काल के बाद के अमृत काल में दूसरा कमाल सिद्धूजी ने किया है। नहीं-नहीं वो वाला नहीं कि ओए गुरु, कमाल कर दित्ता, ठोको ताली।
यह थोड़ा सीरियस किस्म का कमाल है। वैसे तो यह भी कमाल ही है जी कि सिद्धूजी के किसी कमाल को सीरियस माना जाए। हालांकि, कुछ भी बोलने के मामले में बाबाजी और सिद्धूजी में कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। लेकिन दोनों के कमाल में फर्क यह रहा कि सिद्धूजी ने किसी मंत्री की मौजूदगी में कमाल करने का दावा नहीं किया जैसा कि बाबा ने देश के स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में कमाल करने का दावा किया था। जबकि बाबा, बाबा हैं और सिद्धूजी नेता हैं, लेकिन राजनीतिक साथ मिलने के मामले में सिद्धू जी बाबा हो गए और बाबाजी नेताजी हो गए।
फिर एक फर्क यह भी रहा कि बाबा ने दावे वाली दवा को बाजार में भी उतार दिया था और खूब चांदी काटी थी। जबकि सिद्धूजी ने ऐसा कुछ नहीं किया। बस कमाल होने का दावा भर किया। लेकिन डॉक्टर जैसे बाबा के पीछे पड़े थे, वैसे ही सिद्धूजी के भी पीछे पड़ गए। अब बाबा तो डॉक्टरों का मजाक बना सकते हैं। लेकिन सिद्धूजी ऐसा नहीं कर सकते हैं। क्योंकि उनकी वह पत्नी खुद डॉक्टर हैं जिनके इलाज में कमाल होने का दावा सिद्धूजी ने किया। फिर भी सिद्धूजी को पत्नी के कैंसर मुक्त होने की बधाई!