होड़ और दौड़ में नहीं होती भक्ति : स्वामी उमानंद
झज्जर, 24 नवंबर (हप्र)
‘भक्ति के मार्ग पर होड़ और दौड़ का स्थान नहीं है। जब हम कर्म करते हुए स्वयं को कर्ता मान लेते हैं, तब अवसाद और दुःख हमें घेर लेते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि हम केवल माध्यम हैं, असली कर्ता कोई और है।’ यह विचार अमरधाम हरि मंदिर फरुखनगर के अधिष्ठाता मानस मणि स्वामी उमानंद ने झज्जर में आयोजित विराट संत सम्मेलन के समापन अवसर पर व्यक्त किए। स्वामी उमानंद ने कहा कि आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि सुनी हुई बातों का गहन चिंतन करें और उन्हें अपने अनुभव का हिस्सा बनाएं। बच्चों को प्रोत्साहित करने का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे कार्यों पर शाबाशी दें, लेकिन तुलना से बचें। रविवार को श्रीराम धर्मशाला में तीन दिवसीय सम्मेलन का रजत जयंती समापन हुआ। कई संतों ने प्रवचन दिए, और समापन पर समष्टि भंडारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रवीण सुखीजा, राधेश्याम भाटिया, मास्टर अनिल छाबड़ा मौजूद थे।