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राजा नाहर सिंह की नगरी में सभी 6 सीटों पर कांटे की टक्कर, चल रहा शह-मात का खेल

07:10 AM Sep 27, 2024 IST
राजा नाहर सिंह की नगरी में सभी 6 सीटों पर कांटे की टक्कर  चल रहा शह मात का खेल
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
फरीदाबाद, 26 सितंबर
राष्ट्रीय राजधानी – नई दिल्ली से सटा यह औद्योगिक नगर है। यह धरती आजादी के दीवानों की भी रही। अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की क्रांति में बल्लभगढ़ रियासत के राजा नाहर सिंह को इस बेल्ट के लोग पूरे सम्मान के साथ याद करते हैं। 1857 के दौरान राजा नाहर सिंह ने दिल्ली की सुरक्षा में ही नहीं बहादुरशाह जफर को दिल्ली का शासक बनाने में भी बड़ी भूमिका निभाई। इसी वजह से 9 जनवरी, 1858 को उन्हें नई दिल्ली के चांदनी चौक पर फांसी पर लटकाया गया था।
महज 36 वर्ष की उम्र में देश के लिए कुर्बान होने वाले चुनिंदा लोगों में राजा नाहर सिंह शामिल रहे। राजा नागर सिंह में इस बार बड़ी चुनावी जंग लड़ी जा रही है। भाजपा जहां लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए इस इलाके में पिछले प्रदर्शन को दोहराने की जुगत में है। वहीं दस वर्षों से विपक्ष में बैठी कांग्रेस सत्तावापसी के लिए संघर्ष कर रही है। फरीदाबाद जिला की 6 सीटों में दोनों ही पार्टियों ने कई नये चेहरों पर भी दांव लगाया है। हालांकि आम लोगों में यह चर्चा भी है कि दोनों ही पार्टियों ने कुछ सीटों के उम्मीदवार के चयन में कोताही बरती।
भाजपा व कांग्रेस ने इस बार दिग्गज नेताओं की टिकट काटकर नये चेहरों पर दाव लगाने में जरा भी देरी नहीं लगाई। बेशक, इस वजह से दोनों पार्टियों में बगावत भी देखने को मिली और भितरघात का खतरा भी बढ़ गया है। फरीदाबाद सीट पर भाजपा ने पूर्व उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री विपुल गोयल को टिकट दिया है। यहां से मौजूदा विधायक नरेंद्र गुप्ता की टिकट काटकर भाजपा ने विपुल पर भरोसा जताया है। 2019 में विपुल की टिकट काट दी गई थी। इस बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दखल से अमित शाह की टिकट फाइनल हुई है।
सीएम के राजनीतिक सचिव रहे अजय गौड़ भी भाजपा टिकट के प्रबलतम दावेदारों में थे। उनकी गिनती केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के नजदीकियों में होती है। वहीं प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता लखन सिंगला को उम्मीदवार बनाया है। पिछले दिनों पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा लखन सिंगला के लिए प्रचार भी कर चुके हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि सरकार बनने के बाद लखन सिंगला को मंत्री बनाया जाएगा। इस सीट पर दोनों नेताओं के बीच आमने-सामने की टक्कर है।
इसी तरह एनआईटी सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला बना हुआ है। कांग्रेस ने मौजूदा विधायक नीरज शर्मा को टिकट दिया है। नीरज शर्मा के स्व़ पिता पंडित चिरंजी लाल शर्मा हरियाणा सरकार में मंत्री रहे हैं। इस सीट पर प्रवासी वोट बैंक काफी अधिक है, जो हार-जीत में अहम भूमिका निभाता है। पूर्व विधायक नगेंद्र सिंह भड़ाना यहां से टिकट मांग रहे थे लेकिन केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के विरोध के चलते भड़ाना को टिकट नहीं मिल पाई।
गुर्जर की पसंद से सतीश फागना को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। ऐसे में नाराज नगेंद्र भड़ाना ने भाजपा छोड़ दी और इनेलो ज्वाइन कर दी। इनेलो-बसपा गठबंधन की टिकट पर अब नगेंद्र भड़ाना पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिख रहा है। यहां बता दें कि कुछ माह पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ऐलान किया था कि सरकार बनने के बाद ब्राह्मण कोटे से डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। ऐसे में नीरज शर्मा इसे लेकर भी हलके में माहौल बनाने की कोशिश में हैं।
पृथला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने पूर्व विधायक टेकचंद शर्मा को टिकट दिया है। 2014 में टेकचंद बसपा टिकट पर यहां से विधायक बने थे। उन्होंने मनोहर सरकार को समर्थन दिया और फिर वे भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दी। 2019 के चुनावों में निर्दलीय नयनपाल रावत ने चुनाव जीता। इन चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। ऐसे में रावत ने पांच वर्षों तक भाजपा को समर्थन दिए रखा। वे भाजपा टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह टेकचंद शर्मा पर भरोसा जताया। ऐसे में नयनपाल रावत ने भाजपा ने नाराज होकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में ताल ठोक दी। वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक रघुबीर सिंह तेवतिया को टिकट दिया है। पृथला की सीट पर त्रिकोणीय फाइट बनी हुई है। बड़खल हलके से लगातार दो बार की विधायक और नायब सरकार में शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा की टिकट पार्टी ने इस बार काट दी।

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तिगांव की सीट पर बड़ा खेल

तिगांव हलके में भाजपा के राजेश नागर मौजूदा विधायक हैं। पार्टी ने उन पर फिर से भरोसा जताया है। कांग्रेस ने पूर्व विधायक ललित नागर का टिकट काट दिया। नागर सबसे प्रबलतम दावेदार थे। उनकी जगह कांग्रेस ने दिल्ली के गलियारों में एक्टिव रोहित नागर को अपना उम्मीदवार बनाया। रोहित नागर को यह टिकट हाईकमान के स्तर पर मिली है। टिकट नहीं मिलने के बाद बागी हुए ललित नागर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। ग्राउंड रियल्टी के हिसाब से वर्तमान में तिगांव सीट पर राजेश नागर और ललित नागर के बीच आमने-सामने की टक्कर दिख रही है। हालांकि कांग्रेस के रोहित नागर इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में जुटे हैं। यहां होने वाली त्रिकोणीय फाइट के नतीजे बड़े रोचक रहेंगे।

बल्लभगढ़ सीट पर बगावत

यहां से दो बार के विधायक और हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री मूलचंद शर्मा जीत की हैट्रिक के लिए मैदान में डटे हैं। यहां से कांग्रेस टिकट पर पूर्व मुख्य ससंदीय सचिव शारदा राठौर सबसे मजबूत दावेदार थीं। कांग्रेस ने उनकी टिकट काट दी। उनकी टिकट जिस तरीके से कटी है, उसका आभास बहुत कम लोगों को था। बताते हैं कि पार्टी हाईकमान की पसंद से शारदा राठौर की जगह पराग शर्मा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। टिकट कटने के बाद शारदा राठौर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में आ डटीं। इस सीट पर मूलचंद शर्मा पिछले दस वर्षों में किए गए विकास कार्यों के नाम पर वोट मांग रहे हैं।

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