कुरुक्षेत्र की धरा में संस्कृति, संस्कारों को फिर से पुनर्जीवित करने की संभावनाएंं : गजेंद्र शेखावत
कुरुक्षेत्र, 10 दिसंबर (हप्र)
भारत की पौराणिक संस्कृति, संस्कारों और विचारों को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए देश में केवल कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर ही अपार संभावनाएं है। इस विषय को लेकर कुरुक्षेत्र की पावन धरा से पूरे विश्व को आस्था के साथ-साथ ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी समझाया जा सकता है। इसलिए देश की भावी पीढ़ी को आस्था के साथ जोड़ने के लिए देश के सभी संतों और विद्वानों को बार-बार एक मंच पर बैठकर मंथन करना होगा। इतना ही नहीं भविष्य में अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग स्थानों पर होने चाहिए।
ये विचार केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत मंगलवार को स्वामी ज्ञानानंद के प्रयासों से और केडीबी के तत्वावधान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर आयोजित पहले अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में बोलते हुए व्यक्त किए। इससे पहले केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत, स्वामी ज्ञानानंद, राजकोट से संत परमात्मानंद महाराज, अयोध्या श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, कुरुक्षेत्र विवि डाॅ. भीमराव अंबेडकर शोध संस्थान के निदेशक डा. प्रीतम सिंह, कुरुक्षेत्र 48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा, संत राजेश कुमार, वैष्णो देवी मंदिर के मुख्य पुजारी सुदर्शन महाराज, मां भद्रकाली शक्तिपीठ के संचालक सतपाल शर्मा ने दीपशिखा प्रज्ज्वलित करके अखिल भारतीय देव स्थानम सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान सभी संत जनों ने संकल्प भी लिया कि बंगलादेश में हिंदुओं और मंदिरों की रक्षा के लिए गीता जयंती दिवस पर गीता श्लोकों को समर्पित किया जाएगा। इस दौरान देश के 35 धामों से आए संतों ने अपने परिचय देने के साथ-साथ मंदिरों के प्रति युवाओं की आस्था फिर से बने, जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बंगलादेश में हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सामूहिक भूमिका अहम योगदान दे सकती है। इसके लिए शस्त्रों का प्रयोग किए बिना सभी धामों पर यहां पहुंचे संतों और संचालकों को हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा के लिए नित्त रोज प्रार्थना करनी होगी। इससे बंगलादेश में रहने वाले हिंदुओं का भरोसा बढ़ेगा और धीरज भी बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से देश में काशी, केदारनाथ, उज्जैन, जगननाथ जैसे मंदिरों को भव्य और सुंदर बनाया गया। इससे देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का काम किया गया। कार्यक्रम में मेहमानों और सभी संत जनों को केडीबी की तरफ से स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र भेंट किए गए। स्वामी ज्ञानानंद ने अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में पहुंचने पर संतों का स्वागत किया।
राजकोट के संत परमात्मानंद महाराज ने कहा कि पुरातन काल से ही मंदिरों की आस्था को बरकरार रखने का कार्य हमारे पूर्वजों ने किया। मोटिवेटर राजेश कुमार ने भी विचार रखे। श्रीरामजन्म भूमि अयोध्या ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि मंदिरों और तीर्थों के विकास से ही भारत का विकास होगा। आईजीएम मेला प्राधिकरण के सदस्य डा. प्रीतम सिंह ने मेहमानों का आभार व्यक्त किया।