इतिहास को अत्यधिक प्रामाणिक रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता : कुलपति
कुरुक्षेत्र, 29 अप्रैल (हप्र)
विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से इतिहास को अत्यधिक प्रामाणिक रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा भी इन्हीं तत्वों पर बल देती है। भारत के इतिहास के संदर्भ में भारतीयों से एक बहुत बड़ी गलती हुई कि भारत में भारतीयों ने ही अपने देश का इतिहास लिखने का काम विदेशियों के हाथ में छोड़ दिया, जबकि हमको यह समझना चाहिए था कि विदेशी किसी भी देश का सही इतिहास नहीं लिख सकते। आखिर आक्रमणकारी देश कैसे अपने उपनिवेश के इतिहास को संस्कृति को स्वयं से महान मान सकता है। ये विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने केयू डॉ. भीमराव अंबेडकर अध्ययन केन्द्र एवं अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नयी दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में सीनेट हॉल में ‘इतिहास पाठ्यक्रम-वर्तमान परिप्रेक्ष्य व चुनौतियां’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय उत्तर क्षेत्र कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग के समापन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए व्यक्त किये। कुलपति ने कहा कि अंग्रेजी इतिहासकारों और औपनिवेशिक मानसिकता के भारतीय इतिहासकारों की बजाय भारतीय दृष्टि रखने वाले इतिहासकारों को यह कार्य दिया जाना चाहिए था। किसी देश को अगर नष्ट करना हो तो उसके इतिहास को नष्ट कर दो, उसकी संस्कृति नष्ट हो जाएगी और संस्कृति अगर नष्ट हो गई तो वह राष्ट्र और उसकी राष्ट्रीयता नष्ट हो जाएगी। इस अवसर पर हम सभी संकल्प लें कि हम सभी भारतीय अपने गौरवशाली अतीत को सही वैज्ञानिक दृष्टि से इतिहास लिखते हुए संपूर्ण विश्व के सामने प्रस्तुत करेंगे।