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हरदीप सिंह बावा की जीत से पार्टी में जश्न का माहौल

07:10 AM Jul 14, 2024 IST
नालागढ़ में शनिवार को जीत के बाद विजय जुलूस निकालते कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक हरदीप सिंह बावा, सीपीएस राम कुमार चौधरी व कांग्रेस कार्यकर्ता। -निस
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योगराज भाटिया/निस
बीबीएन, 13 जुलाई
नालागढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत से पार्टी में जश्न का माहौल है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के चलते यह तो पहले ही तय माना जा रहा था कि इस बार नालागढ़ के लोग सत्ता के साथ चलेंगे लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप सिंह बावा को इतनी बड़ी जीत मिलेगी, इसका शायद ही किसी को अनुमान था। आज जैसे ही एसडीएम नालागढ़ ने कांग्रेस नेता हरदीप बावा को जीत के बाद प्रमाणपत्र प्रदान किया, नालागढ़ काॅलेज के बाहर जश्न शुरू हो गया। बावा के समर्थकों ने जीत की खुशी में पटाखे फोड़ने शुरू कर दिए। जैसे ही बावा प्रमाणपत्र लेकर बाहर निकले, समर्थकों ने उन्हें कंधों पर उठाकर नारेबाजी शुरू कर दी। उसके बाद खुली जीप में हरदीप बावा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ नालागढ़ शहर से अपने घर ढाना तक एक विशाल जुलूस निकालकर मतदाताओं का आभार जताया। ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष हुसन चंद ठाकुर ने कहा कि यह प्रदेश की सुक्खू सरकार की नीतियों की जीत है। उन्होंने कहा कि अब यहां पर विकास में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी।

मतदाता व कार्यकर्ताओं की जीत

हरदीप सिंह बावा ने इस जीत को समस्त मतदाताओं व कार्यकर्ताओं की जीत करार दिया। उन्होंने कहा कि उनकी जीत में कार्यकर्ताओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष सहित सभी मंत्रियों, सीपीएस राम कुमार चौधरी , संगठन के पदाधिकारियों का अहम रोल रहा है। सभी ने मेहनत की। यह संगठन के सामूहिक प्रयासों की जीत है। उन्होंने कहा कि पहली बार नालागढ़ सत्ता के साथ चला है। वह सबकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे।

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निर्दलीय को मनाने में विफल रही भाजपा

भाजपा हाईकमान पार्टी से बगावत कर मैदान में कूदे युवा नेता हरप्रीत सिंह सैनी को मनाने में गच्चा खा गई। भाजपा आलाकमान को शायद लगा कि हरप्रीत सिंह कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप बावा की तरह सिख चेहरा हैं, इसलिए कांग्रेस के वोट कटेंगे। हरप्रीत का दूसरी बार चुनाव लड़ना और मत प्रतिशत बढ़ना भी भाजपा के लिए संकट पैदा कर गया। भाजपा प्रभारी सुखराम, सह प्रभारी डॉ. सिकंदर तथा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल शायद यह नहीं भांप पाए कि हरप्रीत का परिवार दो दशकों से भाजपा से जुड़ा है और उनका व पार्टी का कैडर एक ही है। अगर भाजपा आलाकमान हरप्रीत सैनी को मनाकर साथ चलाती तो नतीजा शायद कुछ और हो सकता था। बार-बार नालागढ़ मंडल में छेड़छाड़ करना भी पार्टी के लिए घातक साबित हुआ।

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