आरक्षण को लेकर राज्य चुनाव आयोग और शहरी विकास विभाग में ठनी
जानकारी के अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने करीब दो महीने पहले प्रदेश के सभी 73 शहरी निकायों जिनमें 7 नगर निगम , 29 नगर परिषद और 37 नगर पंचायत शामिल हैं में वार्डों की डिलिमिटेशन और आरक्षण रोस्टर तैयार करने का कार्यक्रम जारी किया था। आयोग ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए थे कि 68 निकायों में 11 जुलाई तक और बाकी 5 नगर निगमों में 15 जुलाई तक यह प्रक्रिया पूरी की जाए। इस बीच आज शहरी विकास विभाग के सचिव देवेश कुमार ने सभी उपायुक्तों को पत्र जारी कर आरक्षण रोस्टर की प्रक्रिया को स्थगित करने को कहा। उन्होंने इसके पीछे एससी और ओबीसी वर्ग के नवीनतम आंकड़ों की अनुपलब्धता को कारण बताया और कहा कि जब तक नया जनगणना डेटा नहीं आता तब तक यह कार्य स्थगित रखा जाए। चुनाव आयोग ने इसे अनुचित हस्तक्षेप बताते हुए स्पष्ट किया कि आयोग द्वारा निर्धारित चुनाव कार्यक्रम को केवल संवैधानिक प्राधिकरण ही संशोधित कर सकता है। आयोग ने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर आरक्षण तय किया जाए, क्योंकि 2021 की जनगणना कोरोना के कारण नहीं हो सकी थी।
गौरतलब है कि शिमला नगर निगम को छोड़कर प्रदेश के सभी नगर निकायों में इस साल चुनाव होने हैं। साथ ही 3600 से अधिक ग्राम पंचायतों में भी चुनाव प्रस्तावित हैं। आयोग की सख्ती के बाद अब शहरी विकास विभाग को आदेश वापस लेने होंगे।
चुनाव आयोग की राज्य सरकार को फटकार
चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सभी जिलों को पूर्व निर्धारित शेड्यूल के अनुसार ही कार्यवाही पूरी करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने यह भी दोहराया कि 11 जुलाई तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर ली जाए और 15 जुलाई तक इसकी पूरी जानकारी आयोग को सौंपी जाए।