महर्षि दयानंद सरस्वती जैसा वेदों का ज्ञाता और नहीं हुआ : डॉ. सत्यपाल
कुरुक्षेत्र, 8 फरवरी (हप्र)
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और पूर्व केंद्रीय मंत्री व बागपत के पूर्व सांसद डॉ. सत्यपाल ने कहा कि पिछले 5 हजार वर्षों में महर्षि
दयानंद सरस्वती जैसा वेदों का ज्ञाता, राष्ट्रवादी ब्रह्मचारी विद्वान नहीं हुआ है। वे शनिवार को कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर के योग भवन के प्रांगण में 12 दिवसीय चतुर्वेद महायज्ञ के 8वें दिन यज्ञ में आहुति डालने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग अज्ञानता के चलते बोल देते हैं कि आर्य भारत से आए हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती ने सबसे पहले कहा था कि आर्य भारत के मूल निवासी है, इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि हमारे देश का पहले नाम आर्यव्रत भी रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि भारत को विश्व गुरु बनाना है तो महर्षि दयानंद सरस्वती के दिखाए रास्ते वेदों की ओर लौटाना होगा। हमें सभी को संगठित होकर देश में ऐसा समय लाना है कि हमारे प्रधानमंत्री, मंत्री वेदों को हाथ में उठाकर शपथ ग्रहण करे। उन्होंने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने हरिद्वार की हर की पौड़ी पर लोगों को जगाने के लिए सत्यार्थ प्रकाश बांटे थे और आह्वान किया था कि यदि देश को बचाना है और बच्चों को संस्कारवान बनाना है और परिवारों को संगठित रखना है तो सत्यार्थ प्रकाश पढ़े और पढ़ाए। उन्होंने कहा कि जब आर्य समाज दौड़ता है तो हिंदू समाज चलता है। मुझे बड़ी खुशी हुई है कि जिस धरती पर योगीराज श्रीकृष्ण भगवान ने गीता का उपदेश दिया था, उस पावन धरा पर स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती ने चारों वेदों का यज्ञ आयोजित कर पूरी दुनिया में महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों, वेदों के चिंतन को उन तक पहुंचाने का काम किया है।