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अभी तो बाकी हैं कई आविष्कार

06:26 AM Aug 24, 2023 IST
अभी तो बाकी हैं कई आविष्कार
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शमीम शर्मा

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विज्ञान के आविष्कार देखो तो आश्चर्य में चाहे पूरा दिन दांतों तले अंगुली दबा कर बैठे रहो तो भी कम। कल मैंने एक गांव की लड़की को स्कूटी पर भरोटा उठाये देखा। कलेजा ठंडा हो गया। बरसों से महिलायें सिर पर भरोटे उठाये खेत से घरों को भागी-भागी सी आती रही हैं और उनकी कमर दर्द के मारे कराहती रही है। पर अब एक नयी शुरुआत हुई है। अब स्कूटी या मोटरसाइकिल पर सवार हो उसने अपने बोझ को स्वयं हल्का कर लिया है और उसके लिये यह फतह चांद पर चन्द्रयान उतरने से कम नहीं है। यह तो तय होना बाकी है कि चांद पर विजय पताका फहराने का आम आदमी को क्या लाभ होने वाला है जबकि हरे चारे की बड़ी-बड़ी गांठों के सिर से उतरने पर औरतों के चेहरे की चमक के तो तत्काल दर्शन होते हैं।
खैर, अनेकानेक वैज्ञानिक खोजों के बाद भी लगता है कि अभी तो वैज्ञानिकों के कंधों पर विशाल बोझ बाकी है। लगता है कि अभी कुछ और खोजें होनी शेष हैं। खासतौर पर मेडिकल लाइन में। खून के अनेकानेक टेस्ट हैं जो जांच में शूगर, हिमोग्लाेबिन, कैल्शियम, विटामिन या अन्य मिनरल्स के घटने-बढ़ने के सारे संकेत देते हैं। एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई पूरे शरीर के कोनों-कचोनों में छिपी बीमारियों या गांठों का सारा अता-पता खोज निकालते हैं। पर क्या कोई ऐसा भी आविष्कार हुआ है जिसमें पता लगाया जा सके कि हमारे दिलों में करुणा, मानवता, मित्रता कितनी घट-बढ़ रही है। अब वैर-द्वेष का लेवल क्या हो गया है। झूठ को पकड़ने के लिये तो लाई डिटेक्टर ईजाद हो चुका है पर क्या सहनशीलता और धैर्य नापने का कभी कोई थर्मामीटर बन पायेगा?
एक चतुर सुजान का मशवरा है कि छोटा-मोटा वैज्ञानिक तो उन मनचलों को भी मान लेना चाहिए जो कन्याओं की पोस्ट पर तरह-तरह के कमेंट्स का आविष्कार करते हैं। दूसरी ओर दुनिया के वैज्ञानिक सिर धुन लेंगे जब उन्हें पता चलेगा कि हमारे यहां यह माना जाता है कि दूध के पतीले की मलाई चाटने से शादी में बारिश जरूर होती है। विज्ञान का अध्यापक अगर बच्चों से पूछे कि एलोवीरा क्या होता है तो किसी बच्चे का जवाब हो सकता है- जब एक आदमी पैग बनाकर अपने भाई को देते हुए कहे- ए लो वीरा।

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एक बर की बात है अक नत्थू लगातार रामप्यारी तैं देखे जावै था। रामप्यारी थी ए इतणी सुथरी अक निगाह आप्पे ही उस पै टिकै थी। पर रामप्यारी छोह मैं बोल्ली- क्यां तैं इतणी देर तै घूरण लाग रह्या है? नत्थू बोल्या- मैं न्यूं सोच्चूं हूं अक मेरी मां भी तेरे बरगी सोणी होती तो मैं भी किमें सुथरा होता।

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