फिर बढ़ेगी ईएमआई, लोन भी होगा महंगा
मुंबई, 5 अगस्त (एजेंसी)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को खुदरा महंगाई को काबू में लाने के लिए नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। इससे कर्ज की मासिक किस्त बढ़ने के साथ बैंकों से ऋण लेना महंगा होगा। रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक अपनी तात्कालिक कोष की जरूरत को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। चालू वित्त वर्ष की चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार तीसरी बार नीतिगत दर बढ़ाई गई है। कुल मिलाकर 2022-23 में अब तक रेपो दर में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को नियंत्रण में लाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ये निर्णय आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के साथ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्य के अनुरूप है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा महंगाई दो से छह प्रतिशत तक रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
दास ने कहा, ‘कई झटकों के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में स्थिरता का ‘द्वीप’ बनी हुई है। घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। निर्यात, वाहनों की बिक्री, ई-वे बिल जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े तेजी का संकेत देते हैं। इसके आधार पर आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।’ मुद्रास्फीति के बारे में कहा गया है, ‘वैश्विक अनिश्चितता के कारण मुद्रास्फीति पर असर पड़ रहा है। हालांकि हाल में खाद्य और धातु के दाम उच्चस्तर से नीचे आये हैं और कच्चा तेल भी कुछ नरम हुआ है। अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ सकता है।’ आरबीआई ने मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
एनआरआई भी भर सकेंगे परिजनों के बिल
रिजर्व बैंक ने भारत में अपने परिवारों की ओर से बिजली, शिक्षा समेत अन्य बिलों के भुगतान के लिए अनिवासी भारतीयों को भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए व्यवस्था बनाने का निर्णय किया है। अभी यह सुविधा केवल भारत में रहने वाले लोगों के लिए है।