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ऑफर की बयार और बाजार करे लाचार

08:01 AM Nov 01, 2023 IST

तिरछी नज़र

धर्मेंद्र जोशी

जैसे ही त्योहारों का आगमन होता है, विशेष छूट और ऑफर भी द्वार पर दस्तक देने लगते हैं। कई बार तो ऑफर इतने आकर्षक और मोहक होते हैं कि जिस चीज़ की जरूरत नहीं होती, उन वस्तुओं का यकायक पदार्पण हो जाता है। हालात तो यहां तक हो जाते हैं कि लोगों के घर के अंदर सामान रखने की जगह नहीं बचती है। सामान पलंग पर और गृहस्वामी नीचे जमीन पर पाए जाते हैं। मनोहारी स्लोगन व लुभावने ऑफर गृहस्वामिनी को इस कदर आकर्षित करेेे हैं कि वे तय नहीं कर पा रही हैं, क्या खरीदें? एक ऑफर खत्म नहीं होता, उसके पहले दूसरा ऑफर राकेट की गति से सामने आ जाता है।
मेरे मित्र मंगू जी भी इसी ऑफर संस्कृति के कारण पसोपेश में हैं, बड़ी बेटी का आई पेड पिछले साल ही खरीदा था, मगर एक्सचेंज ऑफर के मोह में बेटी ने अच्छे भले आई पेड को बदलने का मन बना लिया है, जिसमें पुराने की तो आधी कीमत भी नहीं मिल रही है। उल्टे नए की क़ीमत आसमान पर है। इतना ही नहीं, बेटा भी अपनी अच्छी-खासी मोटरसाइकिल को विदा कर देना चाहता है, उसके पीछे भी नई तकनीक और अपग्रेड मॉडल की सम्मोहक छवि प्रस्तुत की जा रही है, भले ही इसके लिए गृहस्थी की गाड़ी पटरी से उतर जाए।
उधर दूसरे मित्र भी अपनी हमसफर से हलकान हैं। उनकी श्रीमती जी इस दीपावली सोने के कंगन के लिए दबाव बना रही हैं, क्योंकि इस बार जीरो पर्सेन्ट डाउन पेमेंट पर कंगन की होम डिलीवरी का जबरदस्त ऑफर दिया है। मित्र ने आसमान छूती महंगाई और अपनी क्षमता की दुहाई देकर पिंड छुड़ाने का प्रयास किया, मगर पत्नी भी पहलवान की बेटी हैं। वह मित्र के बिना ही एक दिन जाकर किस्तों में कंगन की डील फाइनल कर आई।
ऑफर के आकर्षण में हमारी पड़ोसन भी अपने पतिदेव को एक दिन मॉल लेकर गई, जहां दीपावली फेस्टिवल डिस्काउंट की भरमार चल रही थी, साड़ी के साथ जेन्ट्स कपड़े फ्री मिल रहे थे, फिर क्या था? साड़ियां बड़ी संख्या में खरीदी गई, साथ में फ्री के पेंट-शर्ट के ऑफर ने तूफान जी की जेब को बहुत हल्का कर दिया।
वैसे तो आजकल लोगों को बाजार तक जाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि विभिन्न माध्यमों से हर तरह का बाजार हर घर की दहलीज तक दस्तक दे चुका है। आॅनलाइन खरीदी का जुनून शबाब पर है। आर्डर देते ही राकेट की गति से डिलीवरी दिए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सब कुछ फटाफट हो रहा है, मगर जेब हल्की हैं।

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