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बारिश से खेतों में खड़ी और मंडियों में पड़ी गेहूं भीगी

10:05 AM Apr 24, 2024 IST
बारिश से खेतों में खड़ी और मंडियों में पड़ी गेहूं भीगी
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कैथल, 23 अप्रैल (हप्र)
दोपहर तेज हवाएं चलने के बाद हुई बरसात के बाद लोगों ने गर्मी से राहत महसूस की। वहीं 30 मिनट तक चली बरसात के कारण किसानों की खेतों में खड़ी और मंडियों में पड़ी गेहूं की फसल भीग गई। बरसात के कारण गेहूं में नमी बढऩे से इसकी खरीद में भी देरी हो रही है। सोमवार दोपहर 12:00 बजे हुई बारिश के बाद कैथल की नई व विस्तार अनाज मंडी में खुले में पड़े गेहूं के लगभग 18 लाख बैग भीग गए। दो दिनों तक मौसम में बदलाव की संभावना बनी हुई है और अगर उठान में तेजी नहीं हुई तो और अधिक गेहूं बरसात में भीग सकती है। मार्केट कमेटी के सचिव बसाऊ राम ने बताया कि शहर की मंडियों से अभी तक 40 प्रतिशत गेहूं का उठान ही हो सका है। अब तक मंडियों से 15 लाख क्विंटल गेहूं का उत्थान ही हो सका है। मंडियों में अभी 9 लाख क्विंटल गेहूं पड़ी है।
मौसम विभाग के अनुसार अभी दो दिनों तक बारिश हो सकती है। चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मदन खीचड़ ने बताया कि प्रदेश में 25 अप्रैल तक मौसम परिवर्तनशील परंतु खुश्क रहने की संभावना है। इस दौरान बीच-बीच में हल्के बादल आने की भी संभावना है। बीच-बीच में तेज हवाएं भी चल सकती हैं, परंतु 26 अप्रैल के बाद मौसम में बदलाव संभावित है।
कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य समन्वयक डॉ रमेश चन्द्र वर्मा ने बताया कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के तहत अभी अगले दो दिन तक बारिश की संभावना है। कैथल जिले में गेहूं की कटाई का कार्य लगातार जारी है। अभी भी जिले में 10 प्रतिशत तक गेहूं का कटाई का कार्य बाकी हैं। वहीं, खेतों में नई सब्जिय़ों की फसल आना शुरू हो चुकी है। यदि बारिश हुई तो सब्जियों की फसल को भी नुकसान हो सकता है।

गेहूं भीगने से किसानों, व्यापारियों को भारी नुकसान

टोहाना (निस) : सुबह करीब दस बजे तेज हवाओं के साथ शुरू हुई बारिश ने मंडी में बिक्री के लिए लाई गई किसानों की गेहूं को भिगो दिया जिससे किसानों एवं व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ। प्रसाशन द्वारा बारिश से बचने के लिए पुख्ता प्रबंध न किए जाने से किसानों एवं व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। किसानों ने बताया कि अचानक बारिश होने से किसानों को मंडी में लगाई गई गेंहू की ढेरियों को ढकने तक का मौका नहीं मिला। किसानों का आरोपा है कि प्रशासन द्वारा खरीद के बाद लगातार उठान न करवाने से भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है।

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