रनों की फिजूलखर्ची और बाजार की मर्जी
आलोक पुराणिक
भारत-बांग्लादेश टी-20 में भारत ने बांग्लादेश को 133 रनों से हराया। 133 रनों में तो टेस्ट मैच में जीत-हार होती है। इतने ज्यादा रनों से जीत-हार टी-20 में, पर यह फिजूलखर्ची है रनों की।
मोदी के राज में इतनी फिजूलखर्ची, विपक्ष यह आरोप लगा सकता है। मोदी के राज में इतनी संपन्नता है कि फिजूलखर्ची की जा सकती है, यह बात दूसरा पक्ष कह सकता है। पहले लोग छोटी कार में काम चला सकते थे। अब बड़ी कार चाहिए। पहले क्रिकेटर टी-20 में दस-बीस रनों से जीतकर संतुष्ट हो जाते थे, अब उन्हें 133 रनों की जीत चाहिए।
बाबा स्मार्टानंद कह सकते हैं कि यह लालच है, लोभ है। इस पर कंट्रोल होना चाहिए। लोगों को अपनी कामनाओं और धन पर कंट्रोल करना चाहिए और बाबाजी को धन थमा देना चाहिए ताकि बाबा लोगों का धन अनकंट्रोल्ड हो सके। भारतीय टीम ने हैदराबाद में 12 अक्तूबर को पहले बल्लेबाजी करते हुए संजू सैमसन के शतक और कप्तान सूर्यकुमार यादव के अर्धशतक की मदद से 20 ओवर में छह विकेट पर 297 रन बनाए। संजू सैमसन लंबे अरसे से चल नहीं रहे थे, इस मैच में चल निकले।
पुराने लोगों का सम्मान करते रहना चाहिए, पता नहीं कब चल निकलें। पर यही सुझाव कई लोगों को, कई पार्टियों को ले डूबा। हरियाणा में पुराने नेताओं पर ही निर्भर रहने वाली पॉलिटिक्स डूब गयी। यानी किसी की बात-बयान पर आंख मूंदकर यकीन नहीं करना चाहिए।
पाकिस्तान में पुराने नेता डूब रहे हैं। हालांकि, पाकिस्तान में नये या पुराने हों, नेता डूबने के लिए ही होते हैं। पाकिस्तान में परमानेंट उबरी हुई स्थिति में पाकिस्तानी सेना ही रहती है। खैर, संजू सैमसन ने जिस स्पीड से सेंचुरी बनायी है, उसे देखकर साफ होता है कि बहुत जल्दी कोई कार, कोई बाइक उनकी इस स्पीड का श्रेय लेने आ जायेगी। यही होता है कि खिलाड़ी मेहनत से अपनी परफारमेंस देता है फिर उसका क्रेडिट किसी कोल्ड ड्रिंक या कार को मिल जाता है।
बाजार किसी का सगा नहीं होता, आज संजू सैमसन को बहुत सारे इश्तिहार मिल सकते हैं, पर जैसे ही संजू सैमसन की परफारमेंस कमजोर होगी, संजू सैमसन का कोल्ड ड्रिंक किसी और को मिल सकता है। हरियाणा में जो नेता मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे थे, उन्हें बताया गया कि जनता ने उनका तंबू उखाड़ दिया है। हरियाणा वालों को नमन करना बनता है, एक साथ कितने होशियारों को बेवकूफ बना दिया, जो समझ रहे थे कि वो बहुत ही होशियार हैं। एक्जिट पोल, चुनाव एक्सपर्ट तमाम नेताओं का तंबू ऐसा उखाड़ा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि तंबू गिरा है या आसमान।