93वें जन्मदिन पर गूंजी साहित्य की आवाज : ओम प्रकाश गासो को समर्पित हुआ स्नेह, सम्मान और शब्दों का उत्सव
चंडीगढ़, 12 अप्रैल (ट्रिन्यू)
पंजाबी साहित्य की दुनिया में अपनी गहन सोच और सामाजिक चेतना के लिए पहचाने जाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार ओम प्रकाश गासो का 93वां जन्मदिन उनके बरनाला स्थित निवास 'गासो निवास' में गहन साहित्यिक भावनाओं, सादगी और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उनकी दो नवीनतम पुस्तकों — ‘यह एक आवाज़ है’ और ‘पिंगलवाड़ा अमृतसर का अद्वितीय योगदान’ का विमोचन भी किया गया।
गासो के पुत्र डॉ. सुदर्शन गासो, जो हरियाणा सरकार से राज्य स्तरीय सम्मान प्राप्त कर चुके हैं, ने उनके जीवन संघर्ष, रचनात्मक सफर और सामाजिक प्रतिबद्धता पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “बापू का जीवन एक जीवित पुस्तक है, जिससे हर अध्याय प्रेरणा देता है।”
साहित्य की सजीव प्रेरणा बने गासो
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख साहित्यकारों ने गासो की लेखनी को समाज का दर्पण बताया। कथाकार पवन परिंदा ने उन्हें "दैविक प्रतिभा का स्वामी और पंजाबी साहित्य का सिरमौर" कहा। डॉ. राकेश जिंदल ने युवाओं से गासो के जीवन से सीखने का आह्वान करते हुए कहा कि “गासो एक चलती-फिरती अकादमी हैं।”
भोला सिंह संघेरा ने उन्हें “जीवन ऊर्जा का स्रोत” बताया, तो तेजा सिंह तिलक ने बर्नाला की साहित्यिक परंपरा में उनके योगदान को “ऐतिहासिक” करार दिया। कवि तरसेम ने उन्हें “प्रेरणा का अटूट स्त्रोत” बताया।
गासो पर फूलों की वर्षा की गई, मालाएं पहनाकर सम्मानित किया गया और उनके स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना की गई। उन्होंने सभी शुभचिंतकों का धन्यवाद करते हुए कहा, “मेरे लिए लेखन एक साधना है, जिसे अंतिम सांस तक निभाना चाहता हूं।”
साहित्यिक गरिमा से सजा मंच
कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. सुदर्शन गासो, तरसेम और भोला संघेरा ने संयुक्त रूप से किया। डॉ. संपूर्ण सिंह टल्लेवालिया ने कविश्री के माध्यम से माहौल को भावपूर्ण बना दिया।
साहित्यिक और सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े अनेक प्रमुख व्यक्ति भी उपस्थित रहे, जिनमें कमल शर्मा, क्रांति स्वरूप, एडवोकेट सोम दत्त शर्मा, संगीत शर्मा, मालविंदर शायर, रमेश गासो, सुमन गासो, शशि गासो, चंचल कौशल, संतोष वशिष्ठ, मनजीत सागर, बृजलाल धनौला और अन्य गणमान्य शामिल थे।