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सुंदरपुरा के ग्रामीणों ने नहीं किया लोकसभा चुनाव में मतदान

12:03 PM May 26, 2024 IST
सुंदरपुरा के ग्रामीणों ने नहीं किया लोकसभा चुनाव में मतदान
उचाना के सुंदरपुरा में मतदाताओं को मनाने गांव पहुंचे डीसी, एसपी। -निस
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सिरसा लोकसभा क्षेत्र के नरवाना हलके के गांव की दास्तान

उचाना, 25 मई (निस)
सुंदरपुरा गांव को उचाना तहसील से नरवाना तहसील में करने, गांव की खेवट को अलग-अलग करने, धर्मगढ़ माइनर की जमीन का इंतकाल करने की मांग को लेकर सुंदरपुरा के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में वोट नहीं डाला।
गांव में लोगों को मत डालने से रोकने की जानकारी मिलने पर डीसी जींद मोहम्मद इमरान रजा, पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार भारी सुरक्षा बल के साथ गांव में पहुंचे।
यहां पर ग्रामीणों से चुनाव में मतदान करने की अपील भी जिला अधिकारियों ने की, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी मांगें नहीं माने जाने तक मतदान नहीं करने की बात अधिकारियों को कही। दो दिन पहले भी नरवाना, उचाना एसडीएम गांव में ग्रामीणों को मतदान करने के लिए मनाने पहुंचे थे, लेकिन ग्रामीणों ने मांगों को पूरा नहीं होने तक मतदान नहीं करने के फैसले की जानकारी अधिकारियों को दी थी।

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क्या बोले डीसी मोहम्मद इमरान रजा

डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने कहा कि सुंदरपुरा बूथ नरवाना हलके का 200, 201 नंबर है। यहां गांव के लोगों की इनफार्मेशन आई थी कि किसी रीजन के चलते यहां पर बॉयकाट कर रहे हैं। दो रीजन बताए थे प्रशासन को इन्होंने, पिछले तीन दिन से लगातार पंचायत को भी हमने एड्रेस किया और आज भी लोगों के समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मत का प्रयोग करें, उनकी जो भी प्रशासनिक स्तर की समस्या है उसको टेकअप करेंगे और उसको रिजॉल्व करेंगे।

इंतजार करते रहे अधिकारी, लेकिन कोई नहीं पहुंचा

सुंदरपुरा गांव में मतदान केंद्र पर मतदाताओं का इंतजार करते पोलिंग अधिकारी। -निस

सुंदरपुरा गांव सिरसा लोकसभा के नरवाना हलके में आता है। यहां पर बूथ नंबर 200, 201 हैं, जिनमें 1630 मतदाता हैं। गांव के लोग मतदान केंद्र के आस-पास बैठे जानकारी लेते रहे ताकि कोई मतदाता गांव के फैसले के बाद मतदान करने मतदान केंद्र तक नहीं आए। गांव की मेन गली में चुनाव के बहिष्कार का बैनर भी ग्रामीणों द्वारा लगाया गया था। प्रशासन द्वारा चुनाव को लेकर सभी तैयारी की हुई थीं। पोलिंग पार्टी भी दोनों बूथों पर तैनात थी, लेकिन पूरे दिन मतदाता के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई मतदाता वोट डालने के लिए नहीं पहुंचा। सरपंच प्रतिनिधि लखविंद्र श्योकंद ने कहा कि करीब सात साल पहले उनके गांव को उचाना तहसील में जोड़ दिया गया। गांव के लोगों को नरवाना में आना-जाना है, ऐसे में उन्हें परेशानी हो रही है। गांव की खेवट एक होने से कृषि कार्ड सहित अन्य कार्य करवाने के लिए ग्रामीणों को फर्द निकलवाते समय 4 हजार से अधिक की राशि खर्च करनी पड़ती है, क्योंकि पूरे गांव की खेवट एक ही है। ऐसे ही जमीन के खाते अलग करवाते हैं तो धर्मगढ़ माइनर की जमीन का इंतकाल मांगते है, जो अब तक नहीं होने से परेशानी होती है। धर्मगढ़ माइनर की जमीन का इंतकाल की मांग भी ग्रामीण कई सालों से करते आ रहे है। ग्रामीणों ने कहा कि मतदान नहीं करने का फैसला पूरे गांव का सर्वसम्मति से किया गया फैसला है। गांव के लोगों ने किसी को भी मतदान करने से नहीं रोका है। गांव का फैसला होने के चलते किसी ने मतदान नहीं किया। जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाता है तब तक वे चुनाव में मतदान नहीं करेंगे। अब तो प्रशासन गांव में उनके में आकर उनकी मांग को मानने का आश्वासन दे रहा है जबकि सात साल से वे निरंतर शासन, प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं। अबकी बार ग्रामीणों ने एकत्रित होकर फैसला कर लिया है कि वे तब तक मतदान नहीं करेंगे, जब तक उनकी तीन मांगें पूरी नहीं हो जाती।

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