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जीवन के हर क्षेत्र में विवि ने स्थापित किये हैं आयाम

06:36 AM Jan 13, 2025 IST
जीवन के हर क्षेत्र में विवि ने स्थापित किये हैं आयाम
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर आधारशिला रखते देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद। -हप्र
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विनोद जिंदल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 12 जनवरी
प्रदेश के पहले विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र जिसे हरियाणा की मदर यूनिवर्सिटी के नाम से भी जाना जाता है, की स्थापना वर्ष-1956 में संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में हुई। उसके बाद इसे पूर्ण विश्वविद्यालय बनाने के लिए 11 जनवरी 1957 को इसकी आधारशिला रखी गई।
आधारशिला भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद ने रखी थी। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल के.एम. मुन्शी भी उपस्थित थे। साथ ही संस्कृत व्याकरण के विद्वान पंडित केशव देव शास्त्री भी उपस्थित थे। केशव देव शास्त्री ने ही राष्ट्रपति लिए सम्मान भी पढ़ा था।
11 जनवरी 1957 को जब विश्वविद्यालय का हवन यज्ञ व सम्मान पत्र पढ़ा जा रहा था तो उस समय भी बरसात हो रही थी और बरसात में ही कार्यक्रम जारी रहा।
इतना ही नहीं अम्बाला बब्याल के रहने वाले स्वर्गीय जयसिंह टेलीफोन विभाग के एक कर्मचारी ने बताया था कि उस समय विश्वविद्यालय परिसर के आस-पास चाय की दुकान तक नहीं थी। टेलीफोन लगाने का काम अम्बाला से आकर कर्मचारियों ने किया था और वे सारी रात बरसात और ठंड के मौसम में ही काम करते रहे। चाय पीने के लिए भी उन्हें 3 किलोमीटर दूर रेलवे स्टेशन पर जाना पड़ता था।
विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रो. डाॅ. लाल चंद गुप्त मंगल ने बताया कि जब विश्वविद्यालय की स्थापना हुई तो उस समय वे यहां शेखचिच्ली के मुकबरे में चल रहे डिस्ट्रिक्ट बोर्ड मिडिल स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ते थे और बोर्डिंग में ही रहा करते थे। लुक्खी गांव के रहने वाले लालचंद बताते हैं कि स्थापना दिवस के अवसर पर बच्चों की डयूटियां राष्ट्रपति का स्वागत में लगी हुई थी और बहुत सारे बच्चे आर्य स्कूल से लेकर स्टेशन और स्टेशन से लेकर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के तीसरे गेट वाले स्थान तक रंग-बिरंगे कागज द्वारा बनाई गई झंडियों को लेकर लाइनों में काफी देर तक खड़े रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अच्छी तरह याद है कि स्थापना के बाद राष्ट्रपति गीता स्थली ज्योतिसर के दर्शन करने भी गए थे। विश्वविद्यालय की स्थापना को कितने वर्ष हुए हैं यह विषय भी विवादों में है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तो अपनी प्रैस विज्ञप्ति में कह रहा है कि विश्वविद्यालय ने 67 साल पूरे कर लिए हैं लेकिन यदि आंकड़ों के अनुसार देखा जाए तो 67 नहीं बल्कि 68 साल पूरे हो चुके हैं। यदि संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में शुरू हुए इस विश्वविद्यालय को देखा जाए 69 वर्ष पूरे हो गए हैं।

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12 से अधिक विधायक भी दिये विश्वविद्यालय ने

विश्वविद्यालय ने शिक्षा, शोध, संस्कृति, खेल इत्यादि में कईं उपलब्धियां अर्जित की हैं। िश्वविद्यालय ने राज्यपाल रहे चौधरी सूरजभान, दुर्गादत्त अत्री, देवेन्द्र शर्मा, डाॅ. भीम सिंह दहिया, डाॅ. मुनीलाल रंगा, डाॅ. हरिद्वारी लाल, रोशन लाल आर्य, शमशेर सिंह गोगी, सुभाष सुधा, कृष्ण बेदी समेत 12 से भी अधिक विधायक दिए हैं। इनमें से कईं मंत्री रह चुके हैं और कई वर्तमान में भी मंत्री हैं। एमरजेंसी के दौरान सबसे पहले कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से ही पुलिस ने गिरफ्तारियां शुरू की थी, जिसमें सबसे बड़ा नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता रहे प्रो. डाॅ. पीसी जैन, प्रो. डाॅ. सतीश मित्तल, प्रो. डाॅ. परमानंद शामिल हैं।

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