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अकेलेपन की सच्चाई

06:50 AM Sep 14, 2024 IST
अकेलेपन की सच्चाई
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एक बार लियोनार्दो दा विंची के एक शागिर्द ने अपने अकेलेपन को लेकर बहुत दुखी करने वाली बातें कहीं। वह शागिर्द अपने परिवार और रिश्तेदारों के बारे में गलत बातें कह रहा था कि अब वे लोग अपने उत्सव और समागम में उसको शामिल करने तक की जरूरत नहीं समझते। मगर, लियोनार्दो की नजर में यह अकेलापन था ही नहीं। वह तुरंत उसे अपने साथ कब्रिस्तान ले गये। उससे कहा कि दो घंटे में लौटकर आ रहा हूं। यहीं रुकना। कुछ दूर से लियोनार्दो उसे छिपकर देखने लगे। आधे घंटे में ही वह शागिर्द परेशान होकर इधर-उधर देखने लगा था। अब वह जमीन पर कोई आकृति उकेरने लगा। उसके बाद जमीन पर गिरे पत्तों और फूलों से नमूने बनाने लगा। दो घंटे से पहले ही लियोनार्दो उसके पास आ पहुंचे। ‘तो कैसा रहा?’ लियोनार्दो ने उससे पूछा। ‘जी, यही कि कब्रिस्तान से अधिक अकेलापन कहीं नहीं है। मैं तो अकेला हूं ही नहीं। मेरे पास एक संस्थान है सहपाठी हैं प्रशंसक हैं मेरी कला है।’ ‘शाबाश, तुमने महत्वपूर्ण बात कही। सचमुच अगर आप अकेले हैं, तो पूरी तरह से अपने आप के हैं।’ लियोनार्दो ने उसकी सराहना की। उस दिन के बाद वह शागिर्द कभी अकेलेपन के लिए नहीं रोया।

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प्रस्तुति : पूनम पांडे

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