‘हींग लगे न फिटकरी’ से सपने रंगने का ट्रेंड
तीरथ सिंह खरबंदा
चिन तपाक डम-डम यानी भेड़ चाल पर चल पड़े हम! दरअसल यह छोटा भीम कार्टून का एक फेमस डायलॉग है, जिसकी रील सोशल मीडिया पर ट्रेंड होकर सुर्खियां बटोर रही है। आजकल रील बनाने और ट्रेंड होने का नया ट्रेंड चल पड़ा है। इस रील की खास बात यह है कि इसमें बगैर किसी सिर पैर वाले, चिन तपाक डम-डम, डायलॉग का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, इसका मतलब आज तक किसी की समझ में नहीं आया है। वैसे जो भी ट्रेंड हो रहा है उसका कोई खास मतलब होता भी नहीं है।
हवा ही कुछ ऐसी चल पड़ी है कि बिना सिर-पैर वाली बातें हर तरफ तेजी से ट्रेंड हो रही हैं। नेताओं के ऐसे बयान और मीडिया की ऐसी खबरें, फिल्मों के गीत और संवाद जो चिन तपाक डम-डम जैसे होते हैं ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं।
कुछ यूं समझो कि सुर्खियां बटोरने का एक सस्ता उपाय है चिन तपाक डम-डम। दरअसल, यह एक ऐसा नशा है जो सिर चढ़कर बोलता है। एक बार यदि यह सिर चढ़ जाए तो फिर उतरने का नाम ही नहीं लेता है।
यह एक ऐसा लाइलाज रोग है जिसका इलाज हकीम लुक़मान अली के पास भी नहीं है। जिसका किसी पैथी में कोई उपचार नहीं है। इसीलिए इसके बारे में कहते हैं कि मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों-ज्यों दवा की। यह एक ऐसा वायरस है जिसकी कोई वैक्सीन आज तक ईजाद नहीं हुई है। यह छूत की बीमारी जैसा नया किन्तु मीठा रोग है। इस रोग से ग्रस्त रोगी के संपर्क में आते ही यह व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में जकड़ लेता है। फिर वह व्यक्ति भी रात-दिन, चिन तपाक डम डम के चक्कर में उलझ जाता है। यह मर्ज कोई उम्र नहीं देखता बच्चों से लेकर उम्रदराज किसी भी व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले सकता है।
इस व्याधि से ग्रस्त रोगी पर झाड़-फूंक अथवा तंत्र-मंत्र का भी कोई असर नहीं पड़ता है। इसका रोगी इलाज करने वाले हकीम तक को अपना दुश्मन समझने लगता है और सदैव उससे सुरक्षित दूरी बनाए रखना चाहता है। कोई ज्ञानी यदि उसे इस विषय में ज्ञान बांटने की कोशिश करे तो वह क्रोधित हो जाता है।
चिन तपाक डम-डम किसी दुर्घटना पर छाती कूटने जैसा है। जिसमें कुछ लोग अचानक प्रकट होकर कैंडल मार्च निकालते हुए चिन तपाक डम-डम करने लगते हैं और फिर यह समझते हुए लुप्त हो जाते हैं कि इसी में सारी समस्याओं का हल छुपा हुआ है।
कई सेलिब्रिटी भी इसमें पीछे नहीं हैं। चिन तपाक डम-डम, कुछ-कुछ, खुल जा सिम-सिम जैसा है, जिसके माध्यम से खजाने का ताला खोलने में कई लोग एकसाथ लगे हुए हैं।
आजकल पुरस्कारों की जुगाड़ में लगे लेखक भी अच्छा लिखने के बजाय चिन तपाक डम-डम पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं और निरर्थक बातों से भी अर्थ निकालना चाहते हैं।