For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

शुभ कार्य का पहला निमंत्रण गणेश जी को देने की परंपरा

08:12 AM Aug 05, 2024 IST
शुभ कार्य का पहला निमंत्रण गणेश जी को देने की परंपरा
Advertisement

यहां भगवान गणेश की प्रतिमा हनुमान जी की तरह सिंदूरी रंग की है। कहा जाता है कि प्रतिमा सिंदूर से ही निर्मित है। प्रतिमा का आकार गणेश जी के मान्य आकार जैसा नहीं है। जब यह मंदिर बना तब खजराना एक छोटा-सा गांव था। आज इंदौर का आकार बढ़ने से यह शहर में मिल गया। बाद में खजराना गणेश मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया।

सोनम लववंशी

इंदौर शहर और आसपास के नागरिकों की खजराना मंदिर में गहरी आस्था है। यह हिंदुओं का एक विशिष्ट धर्मस्थल है। मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर का मुख्य धार्मिक उत्सव विनायक चतुर्थी है। मान्यता है कि मनौती के लिए यहां मंदिर के पीछे वाले भाग पर सिंदूर से उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है। इससे श्रद्धालुओं की इच्छा पूरी होती है। जब मनौती पूरी होती है, तो स्वास्तिक को सीधा बनाया जाता है। इसके अलावा मान्यताओं के अनुसार भक्त गणेश मंदिर की तीन परिक्रमा पूरी करते हैं और मंदिर की रैलिंग पर मनौती का धागा बांधते हैं। मनौती पूरी होने पर धागा खोलकर प्रसाद चढ़ाया जाता है। खजराना गणेश मंदिर में भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ बुधवार और रविवार के दिन होती है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने के लिए भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं।

Advertisement

तीन शताब्दी पुराना मंदिर

इंदौर के रिंग रोड स्थित खजराना इलाके के गणेश जी के इस प्राचीन मंदिर में हर बुधवार को सुबह से शाम तक भक्तों की भारी भीड़ लगती है। इतिहासकारों का इस मंदिर के बारे में कहना है कि यह 3 शताब्दी पुराना है। पुरातन मान्यताओं के अनुसार, खजराना क्षेत्र के एक पंडित को सपने में भगवान गणेश ने दर्शन देकर उन्हें मंदिर निर्माण के लिए कहा था। उस समय होलकर वंश की महारानी अहिल्या बाई का राज था। पंडित ने अपने स्वप्न की बात रानी अहिल्या बाई को बताई। इसके बाद रानी अहिल्या बाई ने इस सपने की बात को गंभीरता से लिया और स्वप्न के आधार बतायी जगह पर खुदाई करवाई। खुदाई में ठीक वैसी ही भगवान गणेश की मूर्ति निकली, जैसी पंडित को स्वप्न में दिखाई दी थी।

सिंदूरी गणेश प्रतिमा

वर्ष 1735 में छोटे से चबूतरे पर मंदिर का निर्माण कर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। भगवान गणेश की प्रतिमा हनुमान जी की तरह सिंदूरी रंग की है। कहा जाता है कि प्रतिमा सिंदूर से ही निर्मित है। प्रतिमा का आकार गणेश जी के मान्य आकार जैसा नहीं है। जब यह मंदिर बना होगा तब खजराना एक छोटा-सा गांव था। आज इंदौर का आकार बढ़ने से यह शहर में मिल गया। बाद में खजराना गणेश मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया। अब यह मंदिर वृहद आकार में है। भक्तों की मनोकामना पूरी होने से इस मंदिर की आज दुनियाभर में ख्याति है। मंदिर का प्रबंधन भी अब सरकार ने अपने हाथ में ले लिया।

Advertisement

अमीर मंदिरों में शामिल

खजराना मंदिर को देश के सबसे धनी मंदिरों में भी गिना जाता है। यहां भक्तों के चढ़ावे के कारण मंदिर की चल और अचल संपत्ति बेहिसाब है। इसके साथ ही शिर्डी स्थित साईं बाबा, तिरुपति स्थित भगवान वेंकटेश्वर मंदिर की तरह यहां भी श्रद्धालुजन ऑनलाइन भेंट व चढ़ावा चढ़ाते हैं। हर साल मंदिर की दानपेटियों में से विदेशी मुद्राएं भी अच्छी-खासी संख्या में निकलती हैं। इसी चढ़ावे से गणेश मंदिर में भक्तों के लिए नि:शुल्क भोजन की भी व्यवस्था की जाती है। हजारों भक्त यहां हर रोज भोजन करते हैं। इसके अलावा, जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती है वो स्वयं के बराबर लड्डुओं से तुला दान भी करते है।

प्रथम निमंत्रण प्रथा

इस मंदिर परिसर में 33 छोटे-बड़े मंदिर बने हुए हैं। यहां भगवान राम, शिव, संतोषी माता, नर्मदा माता, मां दुर्गा, साईं बाबा, शनि देवता, हनुमान जी सहित अनेक देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इसके अलावा, मां गंगा की भी प्रतिमा है। इसमें मां गंगा मगरमच्छ पर सवार हैं। परिसर में पीपल का एक प्राचीन पेड़ भी है, जिसके बारे में मान्यता है कि ये मनोकामना पूर्ण करने वाला पेड़ है। भगवान गणेश के मंदिर में हर शुभ कार्य का पहला निमंत्रण दिए जाने का रिवाज है। विवाह, जन्मदिन आदि शुभ काम से पहले भक्त पहला निमंत्रण भगवान गणेश के मंदिर में ही देते हैं। इंदौर और आसपास के भक्त अपने आराध्य देवता को पहला निमंत्रण देकर आमंत्रित करते हैं। नया वाहन, जमीन या मकान खरीदने पर भी भक्त भगवान गणेश के दरबार में माथा टेककर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं।

चित्र लेखिका

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×