मेडल के पीछे फलता-फूलता कारोबार
आलोक पुराणिक
भारतीय एथलीट मनु भाकर ने पिस्टल शूटिंग में ओलंपिक में कांस्य पदक जीत लिया, बधाई जी बधाई। इससे पहले कि कोई कोल्ड ड्रिंक, कोई चप्पल, कोई कार, कोई बाइक, कोई सरिया, कोई पाइप लेना शुरू करे, मनु भाकर को ढेर-सी बधाई शुभकामनाएं मिल जानी चाहिए। जान लगाकर हमारे खिलाड़ी, हमारे एथलीट अपना और देश का नाम रोशन करते हैं। पर बाद में हमें यह सुनने को मिलता है कि उस शानदार परफार्मेंस का क्रेडिट किसी जूते-चप्पल या सरिया को मिलना चाहिए।
ऋषभ पंत कमाल बैट्समैन हैं, बहुत जबरदस्त विकेटकीपर हैं और बहुत जिजीविषा वाले इंसान हैं। भयानक दुर्घटना के बाद जिस तरह से खेल में वापसी की उन्होंने, वह काबिले तारीफ है। पर यह देखकर दिल को झटका लगता था कि उनकी परफार्मेंस का श्रेय कोई सरिया ले रहा था। मन होता है कि कह दें भाई सरिये वाले तेरे सरिये में इतना ही दम है, तो तू खुद ही भारतीय टीम का विकेटकीपर क्यों न बन गया।
पर साहब कौन कहे और किससे कहे। कह भी दिया जाये तो सुनने वाला कौन है। पैसा जब बोलता है, तो सब शांत होकर ही सुनते हैं, खिलाड़ी भी। खिलाड़ी खुद कह रहे हैं कि यह वाला सरिया और यह वाली बाइक हमारी शानदार परफार्मेंस के लिए जिम्मेदार है।
कुछ खिलाड़ी बुजुर्ग हो गये हैं, रिटायर हो गये हैं। आजकल दे दनादन पान-मसाला खा रहे हैं। हुजूर आपने शानदार खेल दिखाया था अपने वक्त में। नये बच्चों को फिटनेस की ताकीद दीजिये, काहे पान-मसाला खाते दिख रहे हैं। पान-मसाला वाला भी कामयाब हुआ है, तो वह अपनी कारोबारी काबिलियत से हुआ है। खिलाड़ी का रोल तो बाद में आता है। पान-मसाला कामयाब पहले होता है, खिलाड़ी बाद में बताता है कि उसने यह पान-मसाला खाकर बेहतरीन परफार्मेंस दी। नेता झूठ बोलता है, उसका धंधा है। पर खिलाड़ी भी झूठ बोल रहा है, वह ज्यादा बड़े धंधे के चक्कर में है।
झूठ और पान-मसाले में ज्यादा क्या बिकता है, यह सवाल अपनी जगह बना हुआ है। सच्चा जवाब यह है कि पान-मसाले में झूठ को मिला दो, बहुत ज्यादा बिकने लग जाता है।
बाजार का नियम है, सब कुछ कामयाब को ही मिलता है। नाकामयाब से तो कोई पानी न पूछता, पान-मसाला तो दूर की बात है।
कामयाबी पान-मसाला भी खिलवाती है और कोल्ड ड्रिंक भी दिलवाती है।
कामयाबी मेहनत और समर्पण से आती है, खिलाड़ी जान लगा देता है, दिन-रात एक करता है फिर वही किसी मुकाम पर पहुंचता है। जहां खिलाड़ी पहुंचता है, वहां पहुंचकर उसे पता लगता है कि पान-मसाला पहले ही पहुंचा हुआ है वहां।