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पीजीआई में व्यवस्था ठप, मरीज बिना इलाज लौटने पर मजबूर

10:37 AM Oct 16, 2024 IST
चंडीगढ़ में मंगलवार को हड़ताल पर बैठे पीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टर। (दायें) हड़ताल के चलते पीजीआई में लगे गंदगी के ढेर। -ट्रिब्यून फोटो

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 15 अक्तूबर
पीजीआई चंडीगढ़ की स्वास्थ्य सेवाएं गहरे संकट से गुजर रही हैं। अनुबंधित कर्मचारियों और रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पताल की कार्यप्रणाली लगभग ठप हो चुकी है। हड़ताल के चलते दूर-दराज से आए मरीज बिना इलाज लौटने पर मजबूर हो रहे हैं। ओपीडी पूरी तरह से बंद है, इसके बावजूद आज यहां हजारों मरीज जुट गए हैं। यहां पैर रखने की भी जगह नहीं थी। ओपीडी बंद होने से इमरजेंसी में मरीजों की भारी भीड़ के कारण हालात और भी खराब हो गए हैं। पीजीआई की ओपीडी सेवाएं, जो प्रतिदिन हजारों मरीजों को इलाज उपलब्ध कराती थीं, अब पूरी तरह से बंद हैं। सोमवार से ही नए मरीजों का पंजीकरण बंद कर दिया गया है और पुराने मरीजों का भी इलाज सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। मंगलवार को रेजिडेंट डॉक्टरों के भी हड़ताल में शामिल हो जाने से वैकल्पिक सर्जरी और नियमित इलाज की प्रक्रियाएं भी ठप हो गई हैं। इमरजेंसी में मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अस्पताल प्रशासन के लिए सेवाओं को सुचारू रूप से चलाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। कई मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा।
बंगाल मामले पर न्याय की मांग : रेजिडेंट डॉक्टरों ने बंगाल में डॉक्टर के साथ हुए दुर्व्यवहार के विरोध में मंगलवार से हड़ताल शुरू की है। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. परनीत रेड्डी ने कहा कि बंगाल में डॉक्टरों के साथ जो हुआ, वह निंदनीय है, और जब तक इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की जाती, वे हड़ताल जारी रखेंगे। हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि इमरजेंसी सेवाओं में बाधा नहीं आने दी जाएगी।

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हमें मरीजों की परेशानी का अहसास : यूनियन

कांट्रेक्ट वार्ड अटेंडेंट्स यूनियन के प्रधान राजेश चौहान ने बताया कि वेतन बकाया को लेकर महीनों से शिकायत की जा रही है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। उन्होंने कहा, ‘हमें भी मरीजों की तकलीफ का पूरा अहसास है, लेकिन जब तक हमें हमारा भुगतान नहीं मिलता, हम हड़ताल जारी रखेंगे।’
दूर-दराज से आए लोग परेशान : पीजीआई में इलाज के लिए दूर-दूर से आए मरीज यहां आकर हड़ताल की स्थिति से हैरान-परेशान हैं। उत्तराखंड के श्रीनगर से आए आर. रामप्रसाद कंडवाल ने बताया, ‘मैं अपनी माता को कैंसर के इलाज के लिए लाया था, लेकिन यहां आकर पता चला कि हड़ताल चल रही है। अब हमें समझ नहीं आ रहा कि उनका इलाज कैसे होगा। जम्मू से आए राजेंद्र डोगरा ने कहा कि उनके भाई की किडनी खराब है और अब वे नहीं जानते कि हड़ताल कब खत्म होगी और इलाज कब शुरू होगा।’
प्रशासन काे समाधान की उम्मीद : पीजीआई के डिप्टी डायरेक्टर पंकज राय ने बताया कि अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य मंत्रालय समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

पीजीआई प्रशासन के सामने बड़ी चुनौतियां

पीजीआई प्रशासन हड़ताल खत्म कराने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक किसी भी पक्ष से कोई सहमति नहीं बन पाई है। सोमवार को रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ हुई तीन घंटे की बैठक बेनतीजा रही। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि आपातकालीन, ट्रॉमा और आईसीयू सेवाएं पूर्ववत चालू रहेंगी, जबकि ओपीडी में केवल फॉलोअप मरीजों का इलाज किया जाएगा। नए मरीजों का पंजीकरण और सर्जरी स्थगित रहेंगी। पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा और देखभाल हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि सभी फैकल्टी सदस्यों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और उन्हें ओपीडी में समय पर रिपोर्ट करने के निर्देश दिए गए हैं।

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डायरेक्टर विवेक लाल की कर्मचारियों से भावुक अपील

डायरेक्टर विवेक लाल ने हड़ताल कर रहे कर्मचारियों से भावुक अपील करते हुए कहा कि मरीजों की देखभाल प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रशासन उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए निरंतर प्रयासरत है और वार्ता के लिए दरवाजे खुले हैं। प्रो. लाल ने कहा कि मरीजों की भलाई से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। प्रोफेसर विपन कौशल ने वर्तमान स्थिति में अस्पताल के सुचारू संचालन के लिए कर्मचारियों और स्वयंसेवकों की सराहना की। उन्होंने जानकारी दी कि आज बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में 4,852 मरीजों का इलाज हुआ, आपातकालीन ओपीडी में 148 नए मामले दर्ज हुए, और ट्रॉमा ओपीडी में 22 नए मरीज देखे गए। उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रहेंगी।

गंदगी से बढ़ा संक्रमण का खतरा

सफाई कर्मियों की हड़ताल के कारण अस्पताल परिसर में सफाई व्यवस्था भी चरमरा गई है। जगह-जगह कूड़े के ढेर और गंदगी जमा हो गई है, जिससे अस्पताल में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। खासकर आईसीयू और ट्रॉमा सेंटर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में संक्रमण का जोखिम काफी बढ़ गया है। सफाई कर्मियों का कहना है कि जब तक उनका बकाया वेतन नहीं मिलता है, वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।

कॉलेज वालंटियर्स ने संभाला मोर्चा

कॉलेज वालंटियर्स ने संभाला मोर्चा
पीजीआई में जारी हड़ताल के बीच, कॉलेज के स्वयंसेवक (वालंटियर्स) मरीजों की मदद के लिए आगे आए और अस्पताल में आवश्यक सेवाएं बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) से जुड़े 100 से अधिक छात्र स्वयंसेवकों ने ‘प्रोजेक्ट सारथी’ के तहत मोर्चा संभाला और मरीजों को गाइड किया कि हड़ताल के दौरान उन्हें किस प्रकार अपनी चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करनी हैं। इन स्वयंसेवकों ने मरीजों और उनके परिवारजनों को ओपीडी, इमरजेंसी और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंचने में मदद की।

पीजीआई में जारी हड़ताल के बीच, कॉलेज के स्वयंसेवक (वालंटियर्स) मरीजों की मदद के लिए आगे आए और अस्पताल में आवश्यक सेवाएं बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) से जुड़े 100 से अधिक छात्र स्वयंसेवकों ने ‘प्रोजेक्ट सारथी’ के तहत मोर्चा संभाला और मरीजों को गाइड किया कि हड़ताल के दौरान उन्हें किस प्रकार अपनी चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करनी हैं। इन स्वयंसेवकों ने मरीजों और उनके परिवारजनों को ओपीडी, इमरजेंसी और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंचने में मदद की।

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