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संयम की श्रेष्ठता

06:35 AM Jun 11, 2024 IST
संयम की श्रेष्ठता
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गणधर गौतम भगवान महावीर के दर्शन करने आए। उनका प्रवचन सुनकर भावविभोर हो उठे। उन्होंने भगवान महावीर से पूछा, ‘प्रभु, आप गृहस्थ को श्रेष्ठ मानते हैं या साधु को? महावीर ने उत्तर दिया, ‘संयम को श्रेष्ठ मानता हूं।’ उन्होंने समझाया ‘यदि गृहस्थ व्यक्ति संयमी एवं सदाचारी है तो वह श्रेष्ठ है और यदि साधु होकर भी संयमी नहीं है तो उसे श्रेष्ठ कैसे कहा जा सकता है?’ गणधर गौतम यह उत्तर सुनकर समझ गए कि सद‍्गुणों का सर्वोपरि महत्व है तथा सद‍्गुण और संयम से ही मानव साधुता की उपाधि से अलंकृत हो सकता है। संयम गृहस्थ को भी साधु जैसा सम्मान दिलाने की क्षमता रखता है।

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प्रस्तुति : अंजु अग्निहोत्री

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