आंगन में खिली धूप संवारे रूप तन-मन का
रेणु जैन
ये वो दिन हैं जब सुबह में छत पर बैठे धूप सेंक रहे होते हैं तो हथेलियों पर बिछी धूप के चहबच्चों से लगातार खेलने की इच्छा होती है। थोड़ी देर बाद धूप चेंटने भी लगती है मगर जैसे बच्चों का चेंटना अच्छा लगता है वैसे धूप की घेराबंदी भी अच्छी लगती है। गुलज़ार साहब का गीत 'जाड़ों की नर्म धूप और आंगन में लेटकर' जब लिखा होगा तब हर घर के आंगन में धूप की मौजूदगी भरपूर होती थी लेकिन अब हर घर के आंगन में धूप ढूंढनी पड़ती है। हर मौसम में धूप के कई रूप होते हैं। गर्मी में जहां हम इससे दूर भागते हैं आजकल सर्दियों में तो यह दोस्त जैसी लगती है। तो जाड़ों में धूप को जरूर ढूंढ़िए। इन दिनों की धूप सिकुड़े शरीर को गर्माहट देती है जो हमें कई रोगों से बचाती है।
भरपूर धूप के बावजूद चौंकाते आंकड़े
जानकर आश्चर्य होगा कि भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है जहां साल भर धूप खिली रहती है। इसके बावजूद आंकड़ों की मानें तो भारत में 70 से 90 फीसदी लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। चिंता की बात यह भी है कि अकेले दिल्ली में 90 से 97 फीसदी स्कूली बच्चों में (6 से 17 वर्ष आयुवर्ग) विटामिन डी की कमी पाई गई। यहां कुछ वर्ष पूर्व स्कूलों में प्रोजेक्ट धूप नाम से एक अभियान शुरू भी हुआ था।
औषधि भी है ये किरणें
धूप की रोगनाशक क्षमता के बारे में अथर्ववेद में उल्लेख है कि सूर्य औषधि बनाता है। तभी पुराने समय के लोग सुबह सूर्य नमस्कार करके विटामिन डी ले लेते हैं। ऋषि-मुनियों ने सूर्य की शक्ति प्राप्त करके प्राकृतिक जीवन व्यतीत करने का संदेश मानव जाति को दिया था।
जादू है हड्डियों के लिए
हिंदी फिल्म 'कोई मिल गया' का जादू याद है आपको? खाने के नाम पर उसको क्या चाहिए था... धूप। धूप में आते ही उसकी सारी शक्तियां दोबारा से जागृत हो जाती थी। एलियन्स की तरह इंसानों के लिए भी धूप बड़े काम की चीज है। आखिर सूर्य की रोशनी में हड्डियां मजबूत होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों से संबंधित बीमारियां जैसे गठिया आदि होने की संभावना बढ़ जाती है। सुबह की धूप में जो अल्ट्रावायलेट किरणें होती हैं वे शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद होती हैं। सूर्य की किरणें इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ ही सोराइसिस जैसे स्किन डिजीज से बचाव करती हैं। सूर्य की किरणों से व्यक्ति दिमागी रूप से स्वस्थ रहता है। साथ ही यह सिजोफ्रेनिया के खतरे को भी कम करती है। धूप में मेलाटोनिन हार्मोन विकसित होता है जिससे रात में नींद अच्छी आती है। धूप में बच्चों को मालिश करके भी इसीलिए लिटाया जाता है कि उसे विटामिन डी मिले।
प्राकृतिक अलाव जो रोगों को रखे काबू
ताज़ा शोध के अनुसार, सूर्य के प्रकाश और बीएमआई के बीच अच्छा सम्बन्ध है। इसीलिए रोजाना थोड़ी देर की धूप से आपका वजन कंट्रोल में रहता है। मेटाबोलिज्म सुधारने के अलावा मधुमेह तथा हृदय रोग भी काबू में रहते हैं। धूप के कारण खून जमना, डाइबिटीज तथा ट्यूमर जैसी बीमारियां पास नहीं फटकती। सबसे जरूरी बात कि धूप में थोड़ी देर रहने से रोग प्रतिरोधक शक्ति में भी इजाफा होता है।
लाए फीलगुड
पश्चिमी देशों में जहां बर्फबारी होती रहती है वहां धूप कभी-कभार ही देखने को मिलती है। इसलिए वहां लोगों में निराशा, एकाकीपन,अरुचि तथा निगेटिविटी देखने को मिलती है। स्वीडन के एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टोकन एलपन के मुताबिक, धूप स्नान से पैरों में खून के थक्के नहीं जमते। कहते हैं इस बीमारी से ब्रिटेन में ही हर वर्ष 25 हजार लोगों की जान चली जाती है। इस तरह के थक्के जमने का खतरा सर्दियों में अधिक होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि धूप में पाई जाने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें लोगों में फील गुड की भावना पैदा करती हैं। जिससे अपका मन हरदम प्रफुल्लित सा रहता है।
प्रकृति भी खिली-खिली
धूप की किरणों से वनस्पति ,फूल एवं पत्ते भी खिल खिल जाते हैं व जीव-जंतु भी सुकून में होते हैं। अन्य जीवों के साथ ही गायों के दूध पर भी धूप का प्रभाव पड़ता है। जिन गायों को घरों के भीतर बांध कर रखा जाता है, उनके दूध में विटामिन डी का अभाव होता है। इसके विपरीत जो गायें दिनभर मैदानों में चरती रहती हैं, उनके दूध में विटामिन डी की मात्रा प्रचुरता से पाई जाती है।