बिगड़ैल निकल ही जाती है एकाध गोली
ऋषभ जैन
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति पर ही गोली चल गयी। बात गोली की नहीं है। गोली तो बनी ही चलने के लिए है। उसकी तो अभिलाषा होगी ही चलने की। हो सकता है उसने—
‘चाह नहीं डिब्बे में रह जीवन अपना व्यर्थ फूंकूं,
मुझे चला देना आतंकी, राष्ट्रपति को जाऊं छू।’
जैसे उद्गार भी व्यक्त किये हों। बात उसके पूर्व राष्ट्रपति पर चल पड़ने की भी नहीं है। हथियार बेचारे निर्जीव क्या जाने किस दर को बचाना है, किस देश को डुबोना है। चलाने वाला जहां चलाता है चल पड़ते हैं बेबस। कभी गाजा, कभी इस्राइल, कभी यूक्रेन, कभी रूस। न जाने और भी कहां-कहां। अमेरिकी नेता हथियारों की इस लाचारी से वाकिफ हैं। इसलिए तो वे भारत को भी हथियार बेच देते हैं और पाकिस्तान को भी। उन्हें गोली के पूर्व महोदय की ओर चल पड़ने पर अचरज नहीं होना चाहिए। उन्हें तो इस पर संतोष होना चाहिए। चलो एक गोली का परफार्मेंस तो देश में ही हुआ। वरना सामान्यत: तो जितने हथियार बनते हैं सब एक्सपोर्ट हो जाते हैं।
कुछ लोग अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों को लानत भेज रहे हैं। वे बेचारे भी क्या करें। खालिस्तानी आतंकवादी के पीछे लगे भारतीय एजेंट का पीछा करें कि अपनों को बचाएं। उनके लिए अभिव्यक्ति की आजादी बड़ी बात है। खालिस्तान वालों की अभिव्यक्ति होती रहे इसकी भी व्यवस्था करनी है बेचारों को। वहां आसानी से बंदूकें मिलती ही इसलिए हैं ताकि गोली की भाषा में अभिव्यक्ति करने वालों का काम भी बन सके।
कुछ लोगों का कहना था कि महोदय ने पिछले कार्यकाल में जनता को खूब गोली दी थी, सो कोई गुस्सैल असली वाली चला गया। कोई कहता है इन लोगों ने खुद पर ही हमला करवा दिया होगा। अब वे बूंद-बूंद से देश की रक्षा वाला नारा बुलंद कर लेंगे। कोई कहता है इसमें दूसरी पार्टी वालों का हाथ है। हमने सपने में देखा कि गोली चलवाने वाले ने सारी योजना पंचायत का तीसरा सीजन देखकर बनाई। प्रधान जी पर हमला भी हुआ वे बच भी गये। दुश्मन पक्ष वाले विधायक जी कह रहे हैं कि हम चलवाते तो कान को छूकर थोड़े ही निकालते।
अभी कुछ थ्योरी और आने को है। एक में रूस का हाथ बताया जायेगा, तो दूसरी में चीन का। अमेरिका वालों को एक-दो गोली चल जाने की ज्यादा चिंता नहीं करना चाहिए। पंचायत चार में रहस्य खुल ही जाना है। वैसे भी हथियारों का मूल कार्य दुनियाभर में शांति कायम रखना है। इस भागीरथी प्रयास में पूरी दुनिया में उनकी मिसाइलें चल ही रही हैं, यहां तो एक गोली ही थी। बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां निभाने में छोटी-छोटी दुर्घटनाएं घट जाती हैं। इतने हथियारों में एकाध गोली बिगड़ैल निकल भी जाती है कभी-कभी। ईश्वर का शुक्र है महोदय बच गये। वे आगे भी जाको राखे साइयां पर भरोसा रखें। सारी दुनिया भी अब उसी भरोसे पर है।