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कानून और प्रक्रिया का उल्लंघन था विधानसभा का विशेष सत्र

07:54 AM Jul 18, 2023 IST
कानून और प्रक्रिया का उल्लंघन था विधानसभा का विशेष सत्र
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रुचिका एम खन्ना / ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 17 जुलाई
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कहा है कि राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा विगत 19-20 जून को बुलाया गया पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र कानून और प्रक्रिया का उल्लंघन था। इससे विधानसभा द्वारा पारित चार विधेयकों की वैधता पर सवाल उठ खड़ा हुआ है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने कानूनी सलाह ली है, जिससे उन्हें विश्वास हो गया है कि सत्र 'कानून और प्रक्रिया का उल्लंघन' था। वह शनिवार को उन्हें भेजे गए उस पत्र का जवाब दे रहे थे, जिसमें सीएम मान ने राज्यपाल पुरोहित पर सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी देने में देरी करने का आरोप लगाया था और कहा था कि इसे, एक राजनीतिक परिवार के स्वामित्व वाले समाचार चैनल द्वारा दरबार साहिब से गुरबानी के प्रसारण के एकाधिकार को खत्म करने के लिए पारित किया गया था। यह विधेयक पंजाब पुलिस संशोधन विधेयक के साथ 26 जून, 2023 को राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा
गया था।
हालांकि आज के पत्र में इसका उल्लेख नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि अन्य तीन विधेयक - पंजाब पुलिस संशोधन विधेयक, 2023 (राज्य डीजीपी की नियुक्ति के संबंध में), पंजाब संबद्ध कॉलेज (सेवाओं का संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 और पंजाब विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक, 2023 (जो राज्यपाल को राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने का प्रस्ताव करता है), को भी जल्द मंजूरी नहीं मिलेगी।
बता दें कि पिछले महीने दो दिवसीय सत्र समाप्त होने के बाद राज्यपाल ने साफ कहा था कि वह पहले सत्र की संवैधानिक वैधता की जांच करेंगे। उन्होंने तब कहा था कि वह देखना चाहते हैं कि क्या विशेष सत्र बजट सत्र का विस्तार है, क्योंकि विधानसभा का सत्रावसान नहीं हुआ है। उन्होंने तब कहा था,’अगर यह एक विस्तार था तो हमें यह जांचने की ज़रूरत है कि क्या विधेयक पारित किए जा सकते हैं, या कार्यवाही केवल बजट से संबंधित व्यवसाय तक ही सीमित होनी चाहिए।’
पत्र में यह कहा राज्यपाल ने : ‘मैं यह बताना चाहता हूं कि, राज्यपाल के रूप में, मुझे भारत के संविधान द्वारा यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि विधेयक कानून के अनुसार पारित हों। अपने कर्तव्यों का कर्तव्यनिष्ठा से निर्वहन करने के लिए, मैं कानूनी सलाह प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ा हूं... प्राप्त कानूनी सलाह की पृष्ठभूमि में, मैं सक्रिय रूप से विचार कर रहा हूं कि क्या भारत के अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय प्राप्त की जाए, या संविधान के अनुसार, ये विधेयक भारत के राष्ट्रपति के विचार और सहमति के लिए आरक्षित किये जाएं। ...आप निश्चिंत रहें, मैं 19-20 जून को आयोजित विधानसभा सत्र की वैधता की जांच करने के बाद कानून के अनुसार कार्रवाई करूंगा।’

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