कायम है चमकीले सुरों की चमक
डी.जे.नंदन
पंजाब के ‘रॉक एंड रॉल’ किंग कहे जाने वाले अमर सिंह चमकीला पर बनी फिल्म बीते दिनों नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गयी। इन दिनों पंजाब, हिमाचल और हरियाणा के अलावा जहां-जहां भी पंजाबी बोली जाती है और पंजाबी गाने सुने जाते हैं, वहां इस फिल्म को लेकर चर्चा छिड़ गई है। अस्सी के दशक की शुरुआत के थोड़े पहले पंजाबी फोक सिंगर अमर सिंह चमकीला की लोकप्रियता बढ़ने लगी थी। उन्हें उस दौर में पंजाबी का एल्विस प्रेस्ली कहा जाने लगा।
21 जुलाई 1960 को लुधियाना के डुगरी गांव में, एक दलित परिवार में पैदा हुए धनीराम को बचपन से ही गाने का शौक था। गरीबी के चलते 7-8 साल की उम्र में ही उन्हें फैक्टरियों में काम करना पड़ा। इलेक्ट्रिशियन भी बनना चाहते थे। फुर्सत मिलती तो वह पंजाबी फोक गुनगुनाते। बाद में पंजाबी लोकगायक के रूप में तो उन्होंने किंवदंती ही रच दी। वास्तव में 1970 से 80 के दशक में पंजाबी फोक म्यूजिक इंडस्ट्री के किंग थे, सुरिंदर शिंदा। अमर सिंह चमकीला ने एक बार सुरिंदर शिंदा से मुलाकात करके कहा कि वह भी उनकी तरह गायक बनना चाहते हैं। सुरिंदर शिंदा के कहने पर 16 साल के धनीराम यानी चमकीला ने दो गाने सुनाये। शिंदा उनकी जादुई आवाज के कायल हो गये।
ग्रुप किया ज्वाइन, फिर खुद लगे गाने
शिंदा ने चमकीला को अपने ग्रुप का हिस्सा बना लिया और तब तक धनीराम यानी चमकीला ने उन्हें अपना गुरु मान लिया। वह शिंदा के गानों की धुन बनाने लगे और सहायक के तौर पर गाने भी लगे। धीरे-धीरे वह काम में माहिर हो गये। लेकिन तनख्वाह सिर्फ 100 रुपये मिलती थी। एक साल के दौरान नाम धनीराम से अमर सिंह चमकीला रख चुके थे और कमाल की धुनें बना रहे थे। ज्यादा से ज्यादा गीत भी लिखने लगे थे और शिंदा उनके गीत गाकर खूब कमाई करने लगे। शोषण की ऐसी कहानियां विद्रोह का शिकार होती हैं, अमर सिंह चमकीला 1979-80 में सुरेंदर शिंदा की कभी थीम लीड सिंगर रही, सोनिया के साथ जोड़ी बनाकर खुद गाने लगे।
एल्बम की रिलीज व डबल मीनिंग गानों के आरोप
साल 1980 में उनका पहला एलबम ‘टकुए ते टकुआ’ रिलीज हुआ। इसमें 8 ड्यूएट गाने थे जिनसे अमर सिंह चमकीला रातोंरात प्रसिद्धि की बुलंदियों पर पहुंच गये। चमकीला खुद ही गाने लिखते, धुनें बनाते और उन्हें गाते थे जो पति-पत्नी के झगड़ों, एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर, प्रेम प्रसंग, पर डबल मीनिंग वाले होते थे। जिनसे पंजाब का एक वर्ग उनसे खफा रहता था। ये वो दिन थे जब पंजाब में आतंक बढ़ रहा था। उन्हें आतंकियों से चेतावनी मिली कि वह अश्लील और डबल मीनिंग गाने लिखने छोड़ दें। अमर सिंह चमकीला ने माफी भी मांग ली और अश्लील गाने भी लिखने बंद कर दिए। कुछ दिनों बाद लगा कि मामला शांत है, तो फिर से वैसे ही गाने लगे।
शादी की तो आये निशाने पर
अपनी कई को-सिंगर के साथ गाते-गाते अंततः उन्होंने अमरजीत कौर के साथ अपनी स्थायी जोड़ी बना ली और फिर उनसे शादी भी कर ली। कुछ लोगों का कहना है कि पंजाब में एक वर्ग के लोग इस गायक से इसलिए भी नाराज हो गये थे कि उसने ऊंची जाति की लड़की से शादी कर ली थी। बहरहाल एक तरफ उनकी आलोचना थी और दूसरी तरफ पंजाब समेत देश-विदेश उनकी बेतहाशा लोकप्रियता। लोग उनके दीवाने थे। उन्होंने 99 गाने गाये और सभी सुपरहिट हुए। आज भी कनाडा से लेकर विएना तक उनके गाने सुने जाते हैं।
साल 1988 में बेरहमी से हत्या
8 मार्च 1988 को अमर सिंह चमकीला अपनी पत्नी अमरजाेत कौर और तीन साजिंदों के साथ फिल्लौर के पास महम गांव में एक प्रोग्राम करने गये। उन दिनों पंजाब की शादियों में गाने के लिए चमकीला से तारीख न मिल पाने पर लोग शादी की तारीख बदल देते थे। इस सिंगर के दुश्मन भी बहुत ज्यादा हो गये थे। फिर 8 मार्च 1988 को जैसे ही वह महम गांव में कार से उतरे तो अज्ञात बंदूकधारियों ने उन्हें, उनकी पत्नी को और उनके तीन सहयोगियों पर गोलियां बरसा दी। नृशंसता के साथ उनकी हत्या की गई थी।
जांच तो दूर, कत्ल की रिपोर्ट तक नहीं
हत्यारे इतने दुस्साहसी थे कि पूरे गांव की मौजूदगी में इस महान गायक को मारा व वहीं भंगड़ा करते रहे। उस वीभत्स कत्ल के 36 साल हो गये, लेकिन आजतक पंजाब की पुलिस ने हत्यारों को पकड़ना तो दूर, उन पर कोई आरोप भी नहीं लगाया। हत्या की रिपोर्ट तक नहीं दर्ज करवाई। पुलिस ने खुद जांच करना जरूरी नहीं समझा। आज भी लाखों अमर सिंह चमकीला के गानों से प्यार करने वाले लोग हैं। उन्हीं की बदौलत नेट फ्लिक्स की ओटीटी पर आयी फिल्म पसंद की जा रही है। आज भी पंजाब में चमकीला की चमक रह-रहकर कौंधती है।
-इ.रि.सें.