गुरुदेव की सफलता का राज
गांधी जी गुरुदेव के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने शांति-निकेतन आए हुए थे। गुरुदेव महीनों से अस्वस्थ से चल रहे थे। इसी दौरान, शांति निकेतन परिवार के लोगों ने गांधी जी से निवेदन किया कि वे गुरुदेव से कहें कि वे दिन में भोजन के पश्चात कुछ आराम अवश्य करें। गांधी जी गुरुदेव के निवास-स्थान गए। गांधी जी ने देखा कि गुरुदेव बाहर बरामदे में बैठे अपने कार्य में लगे हैं। उन्होंने उलाहने के स्वर में कहा, ‘आपको मेरी एक बात माननी ही पड़ेगी। दिन में, कम से कम एक घंटे पूर्ण आराम करना पड़ेगा।’ गुरुदेव ने कहा, ‘आपकी बात भला मैं कभी टाल सकता हूं? लेकिन मेरी भी एक बात सुन लीजिए। मैं जब 12 वर्ष का था, तब मेरा यज्ञाेपवीत हुआ था। उस अवसर पर, मैंने प्रतिज्ञा की थी कि मैं कभी भी, किसी भी हालत में दिन में आराम नहीं करूंगा। मैंने आज तक इसे निभाया है।’ गांधी जी चकित रह गये हुए कि बारहवें साल से आज तक मतलब 67 सालों में कभी भी गुरुदेव ने दिन में आराम नहीं किया! गांधी जी ने कहा, ‘आपकी सफलता का भेद मुझे अब ज्ञात हुआ।’
प्रस्तुति : किरणपाल बुम्बक