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गैस प्लांट में कंस्ट्रक्शन का दूसरे और अंतिम चरण का काम शुरू

11:23 AM Oct 14, 2024 IST
गैस प्लांट में कंस्ट्रक्शन का दूसरे और अंतिम चरण का काम शुरू
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जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 13 अक्तूबर
हाइड्रोजन गैस प्लांट में बहुत जल्द हाइड्रोजन का उत्पादन शुरू होगा। गैस प्लांट में कंस्ट्रक्शन का दूसरे और अंतिम चरण का काम शुरू हो गया है। इसमें अब ओवरहेड वाटर टैंक और आरओ लगने बाकी हैं। यह काम इसी साल पूरा होने की उम्मीद है। उसके बाद इस प्लांट में पैदा होने वाली हाइड्रोजन गैस से ट्रेन चलने लगेंगी।
गौरतलब है कि रेलवे जंक्शन पर 118 करोड़ रुपए की लागत से 2022 में हाईड्रोजन गैस प्लांट का निर्माण शुरू हुआ था। यह गैस प्लांट दो हजार मीटर एरिया में लगाया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य दिसंबर 2023 के अंत तक पूरा होने की बात कही गई थी। शुरुआती दौर में जींद रेलवे जंक्शन पर हाइड्रोजन प्लांट के निर्माण कार्य ने   तेज रफ्तार पकड़ी थी, मगर बाद में  इस पर ब्रेक लग गए थे। निर्माण की 3 डेडलाइन के बाद भी निर्माण पूरा नहीं हुआ।
 पिछले महीने रेलवे के नए डिविजनल इंजीनियर अभिषेक बोरली ने जींद रेलवे जंक्शन की अपनी पहली विजिट में ही हाइड्रोजन गैस प्लांट के निर्माण में देरी को गंभीरता से लेते हुए इसका निर्माण कार्य जल्द पूरा करने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। उसके बाद निर्माण में तेजी आई है।   रेलवे जंक्शन पर निर्माणाधीन हाइड्रोजन प्लांट में पानी के लिए बड़ा वॉटर टैंक बनेगा। इसे प्लांट में लगने वाले बड़े आरओ के साथ कनेक्ट किया जाएगा। यहां आरओ इसलिए लगाए जा रहे हैं, ताकि हाइड्रोजन गैस के उत्पादन के लिए पूरी तरह से साफ पानी उपलब्ध हो। पूरी तरह साफ पानी से ही प्लांट में गैस का उत्पादन हो पाएगा। प्लांट में सिविल कंस्ट्रक्शन के  दूसरे और अंतिम चरण के काम शुरू हो चुके हैं, और जल्द पूरे हो जाएंगे।

आरओ, मशीनरी का काम होगा पूरा

जींद रेलवे जंक्शन पर रेलवे के इस हाइड्रोजन गैस प्लांट में साल 2025 में हाइड्रोजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा। दिसंबर 2024 तक हाइड्रोजन प्लांट में सिविल कंस्ट्रक्शन और आरओ तथा दूसरी मशीनरी आदि लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। उसके बाद इस पूरे सिस्टम की टेस्टिंग होगी तथा 2025 में इस प्लांट से बनने वाली हाइड्रोजन गैस से ट्रेन चलने लगेगी।

118 करोड़ रुपये की आएगी लागत

हाइड्रोजन गैस प्लांट के निर्माण पर लगभग 118 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस प्लांट में जिस हाइड्रोजन गैस का उत्पादन होगा, उससे ट्रेनें 140 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से दौड़ेंगी। इन ट्रेनों में सफर प्रदूषण रहित होगा। हाईड्रोजन गैस से चलने वाला ईंजन धुआं की बजाय भाप और पानी छोड़ेंगे। हाइड्रोजन  ट्रेन पारंपरिक डीजल इंजन की तुलना में 60 फीसदी कम शोर करेगी। इसकी रफ्तार और यात्रियों को ले जाने की क्षमता भी डीजल ट्रेन के बराबर होगी।  हाइड्रोजन इंजन में ईंधन के रूप में हाईड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल होता है।  यह हाईब्रिड इंजन होंगे,  जिनमें अक्षय ऊर्जा भंडारण जैसे बैटरी या सुपर कैपेसिटर लगे होते हैं। ईंजन में डीजल की जगह फ्यूल सेल, हाईड्रोजन और ऑक्सीजन डाले जाते हैं। ऑक्सीजन की मदद से हाईड्रोजन नियंत्रित ढंग से जलती है और इस ताप से बिजली पैदा होती है। बिजली लिथियम आयन बैटरी को चार्ज करती है, जिससे ट्रेन चलती है। हाईड्रोजन इंजन एक बार में एक हजार किलोमीटर तक की दूरी तय कर लेता है।
''प्लांट का निर्माण जल्द पूरा करवाने के लिए मैं रेलवे अधिकारियों से लगातार संपर्क में हूं। अधिकारियों ने अगले साल इसमें उत्पादन शुरू होने का आश्वासन दिया है।'' -डॉ कृष्ण मिड्ढा, विधायक 
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