योजना नायाब लेकिन जनरुचि का अभाव, अमला भी ‘सुस्त’
रामकुमार तुसीर/ निस
सफ़ीदों,10 दिसंबर
हरियाणा में निजी क्षेत्र की बहुउद्देशीय सहकारी समितियां पंजीकृत कर लोगों को रोजगार के अवसर सुलभ कराने के लक्ष्य के साथ हरियाणा सरकार ने सहकारी बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के उपनियम बनाकर इनका पंजीकरण शुरू किया। इस प्रक्रिया में विभाग से बताया गया कि अब तक ऐसी 425 समितियों का पंजीकरण हो चुका है। सरकार के सहकारी क्षेत्र के पैक्स समितियों को भी बहुउद्देशीय बनाने के प्रक्रिया जारी है जिसमें इनका रिकॉर्ड ऑनलाइन किया जा रहा है। सरकार की यह योजना निस्संदेह नायाब है जिसमे कम से कम उन बालिग 11 सदस्यों के साथ समिति का गठन किया जाता है जो समिति के क्षेत्र के निवासी हैं, किसी मान्यताप्राप्त संस्थान से दस जमा दो कक्षा पास हैं। वे पांच एकड़ से ज्यादा जमीन के मालिक न हों, दिवालिया न हों, किसी मामले में सजा न हुई हो और वे ऐसी किसी दूसरी समिति के सदस्य न हों। रिकॉर्ड मुकम्मल रखने को तीन दर्जन के करीब रजिस्टर आदि लगाने की अनिवार्यता भी है। उपनियमों के मुताबिक हर सदस्य को 20 हजार का एक हिस्सा खरीदना है। उसकी सदस्यता का 3 वर्ष की अवधि के बाद 5 हजार की फीस के साथ नवीकरण होगा। सभी कुछ उपनियमों में स्पष्ट है। ऐसी समितियां सीएससी, जनौषधी केंद्र आदि चलाने, निर्माण का काम करने व उद्योग, व्यापार, सेवा आदि क्षेत्रों के अनेक तरह के वैध काम को लक्ष्य बनाएंगी जिसके लिए सरकार ऋण उपलब्ध कराने में मदद करेगी। प्रदेश में ऐसी 425 समितियों का पंजीकरण हो चुका है। कई समितियों के प्रतिनिधियों ने पंजीकरण प्रक्रिया में आई दिक्कतें नाम न छापने की शर्त पर साझा करते हुए कहा कि समिति के ज्यादातर सदस्यों को तो ज्ञान है ही नहीं। उपनियमों व पंजीकरण प्रक्रिया का ज्ञान विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों को भी नहीं है। दक्षिण हरियाणा की एक समिति के एक प्रतिनिधि ने कहा कि अमले की नीयत साफ हो तभी काम चलेगा।