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ताउम्र यादों में बस जाते हैं नज़ारे

07:47 AM Oct 04, 2024 IST

अमिताभ स.
यूरोप के शानदार देशों में शुमार स्विट्ज़रलैंड का हर शहर और हर कस्बा बेइंतहा खूबसूरती से भरा हुआ है। इंटरलाकन ऐसा ही एक छोटा-सा हसीन गांव या शहर है। स्विस राजधानी बर्न से इंटरलाकन के लिए सीधी ट्रेन है। ट्रेन का सफर वाकई दिलकश है। शायद ऐसे दिलखुश और सुहावने नजारे दुनिया के किसी ट्रेन सफर में देखने को नहीं मिलेंगे। रास्ते में, हरे-भरे मैदानों में गायें चरती नज़र आती हैं। हर गाय के गले में खास शेप की स्विस घंटी बंधी होती है, जो स्विट्ज़रलैंड की पहचान है। चरती गायों के गले की होले-होले बजती घंटियां बेहद मधुर ध्वनि उत्पन्न करती हैं।
सारे रास्ते जाते-जाते ट्रेन के साथ-साथ झील चलती लगती है। खिड़की से झांकते हुए लगता है कि मानो इस नीले पानी से लबालब झील में बोटिंग कर रहे हैं। झील का पानी एकदम खिड़की को छूने को आता है। असल में, कुछ तो नजारे ऐसे हैं और कुछ ट्रेन की खासियत भी है। इसीलिए स्विस ट्रेन को ‘ट्रांसपेरेन्ट ट्रेन’ कहते हैं। क्योंकि इनकी बनावट ऐसी है कि सफर के दौरान, मुसाफिर भीतर बैठे-बैठे ज्यादा से ज्यादा बाहरी नज़ारों को देख सके और उन्हें जी सके।
इंटरलाकन पूरे स्विट्ज़रलैंड का सबसे अलग-थलग शहर लगता है। पश्चिम से दक्षिण छोर के बीच एकदम सीधी एक-डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क ही मेन शॉपिंग स्ट्रीट है। तेज कदमों से चलें, तो 20 मिनट में एक से दूसरे छोर तक पहुंच जाते हैं। लेकिन आराम से तफरीह करते चलने में ज़्यादा आनंद है। इसी सड़क की एक ओर ज़्यादातर दुकानें, होटल और रेस्टोरेंट्स हैं। छोटे-से शहर में एक कैसिनो है। ज्यादातर होटलों से माउंटेन व्यू यानी पर्वतों को निहार सकते हैं। सड़क के दूसरी ओर साथ-साथ चलता खासा लंबा चौड़ा मैदान है।

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बर्फीले पहाड़ का सफर

यहीं यूरोप का शिखर इंटरलाकन के पीछे एल्प्स पर्वत शिखाओं का बैकड्रॉप है। इंटरलाकन से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर लुज़र्न कस्बा है। यहीं से योंक फ्रो योक के लिए टॉय ट्रेन पर सवार होते हैं। टॉय ट्रेन को ‘कोकव्हील ट्रेन’ कहते हैं। इसके खास पहियों के बीच गरारियां पटरी के बीच बनी गरारियों में फंस कर यूं चलती हैं कि तीखी चढ़ाई पर चढ़ते-चढ़ते ट्रेन पूरे दम से पटरी पर टिकी रहे, कहीं उखड़ न जाए। करीब 2 घंटे का यह सफर अत्यंत सुहावना है। बर्फीली सुरंगें, बर्फ की वादियां और शिखरों को छूना वाकई एक अद्वितीय अनुभव है। विकास की बखूब मिसाल ही कहेंगे कि खेल-खेल में सैलानी यूरोप के शिखर पर होते हैं।
ऊपर योंक फ्रो योक एकदम छोटा-सा गांव है, लेकिन किसी आधुनिक शहर से कम या पीछे नहीं है। यहीं यूरोप की सबसे ऊंचाई पर बना पोस्ट ऑफिस भी है। वाट्सएप और ई-मेल के जमाने में भी सैलानियों में अपने-अपने घर के पतों पर पोस्ट कार्ड भेजने की होड़ लगी देखना दिलचस्प है। यहीं से दिखाई देता है- एल्प्स का सबसे लंबा 22 किलोमीटर फैला एलटेश ग्लेशियर। दूर-दूर बर्फ की सफेद चादर देख आंखें चौंधिया न जाएं, इसके लिए टूरिस्ट को काला चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है।

दो झीलों के बीच

थुन लेक और ब्रीनेज लेक के बीच और आरे नदी के किनारे बसे इंटरलाकन का मतलब ही है ‘लेक के बीच’। यह बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग का सबसे प्रिय ठिकाना है। यहीं रॉयल कैसिनो के सामने फ्लोरल क्लॉक (फूल घड़ी) है, जहां शोमैन राज कपूर ने ‘संगम’ की शूटिंग की थी। ‘संगम’ स्विट्ज़रलैंड में शूट की गई पहली बॉलीवुड फिल्म थी। यश चोपड़ा स्विस नजारों के सबसे दीवाने फिल्मकार थे। कैमरा संभालते शूटिंग करने के अंदाज में उनकी आदमकद कांस्य प्रतिमा यहीं बीच बाग में लगी हुई है। बॉलीवुड के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर यश चोपड़ा की प्रतिमा को यहां यूं देख हर हिंदुस्तानियों को बड़ा अचंभा होता है और गौरवान्वित महसूस करते हैं। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘फासले’, ‘चांदनी’, ‘वीर जारा’, ‘धूम-3’, ‘मुहब्बतें’, ‘डर’, ‘यस बॉस’, ‘अजनबी’, ‘दीवाना मस्ताना’ वगैरह कई फिल्मों ने स्विट्ज़रलैंड को सिल्वर स्क्रीन पर उतारा है।

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हर तरफ फूल ही फूल

इसी आकर्षण के चलते, स्विट्ज़रलैंड में सबसे पहले इंटरलाकन को ही पर्यटन शहर के तौर पर विकसित किया गया। और फिर, इंटरलाकन दुनिया की बेहतरीन चोटियों के लिए विश्व विख्यात है। योंक फ्रो योक की पीक सबसे शानदार स्विस चोटी है। और तो और, खुले मैदान में स्काई सेलिंग का मजा ले सकते हैं। बच्चों को घोड़ा बग्घी और टूरिस्ट ट्रेन की सैर भी करवा सकते हैं। अंदर की गलियों में पैदल टहलना मजेदार है। छोटे-छोटे घर अलग तरह की खूबसूरती समेटे हैं। घरों और गलियों में फूल ही फूल खिले हैं। प्राचीन शहर का चार्म बरकरार है। सब कुछ होने के बावजूद यह ज़रा शांति का शहर है। लोगों की कम ही आवाजें सुनाई देती हैं।
घूमने-फिरने के लिहाज़ से, स्विस शहरों में इंटरलाकन को बेस्ट टाउन बताते हैं। इंटरलाकन में गुजारे दो दिन ही ताउम्र यादों में बसे रह जाते हैं। क्योंकि यहां से किसी भी स्विस शहर में 3 घंटे से कम समय में पहुंच सकते हैं। यह सेंट्रल स्विस शहर है, मैदानी है और आसपास एल्प्स की पहाड़ियां से घिरा है। यूं ही, स्विट्ज़रलैंड का 30 फीसदी हिस्सा पहाड़ों से ढका है। इसलिए कह सकते हैं कि जहां-जहां जाएं, हरियाली, बर्फ और मदमस्त शीतल हवाएं कुदरत को दीवाना बना देती हैं।

दो घंटे बड़ा दिन

इंटरलाकन जाने के लिए पहले दिल्ली से स्विस राजधानी बर्न या सबसे बड़े स्विस शहर ज़्यूरिख़ जाना होता है। ज्यूरिख़ पहुंचने में करीब 8 घंटे लगते हैं। और ज्यूरिख़ से इंटरलाकन की ट्रेन से दूरी करीब 2 घंटे में तय होती है। इंटरलाकन की आबादी केवल 6,500 के आसपास है। यह एक रईस देश का शहर है, इसलिए महंगा भी बहुत है। करेंसी स्विस फ़्रैंक है। आजकल एक स्विस फ़्रैंक करीब 95 रुपये का है। यूरोप के कई देशों में मान्य करेंसी यूरो भी करीब 95 रुपये का ही है। दिन कम से कम दो घंटे ज़्यादा समय का होता है, क्योंकि सुबह उजाला तो 5 बजे हो जाता है, लेकिन रात का अंधेरा साढ़े 9 बजे के आसपास कहीं जाकर होता है। आमतौर पर यह बेहद बर्फीला और कड़ाकेदार ठंडा मुल्क है। फिर भी, अप्रैल से अक्तूबर तक मौसम घूमने लायक रहता है।

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