चुनावी दंगल में दो बड़े राजनीतिक परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 21 सितंबर
प्रदेश की सबसे हॉट विधानसभा सीटों में शुमार उचाना कलां के चुनावी दंगल में प्रदेश के दो बड़े राजनीतिक परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह और पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम जजपा प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला शामिल हैं। इनके मुकाबले भाजपा ने ब्राह्मण समाज के युवा देवेंद्र अत्री को चुनावी मैदान में उतारा है। पहली बार उचाना की जाटलैंड में किसी प्रमुख दल ने ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी को टिकट दी है। भाजपा की यह सोशल इंजीनियरिंग कारगर साबित होती है, या औंधे मुंह गिरती है, यह चुनावी नतीजे बताएंगे।
2 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाताओं की संख्या 1 लाख से ज्यादा है। 1977 में अस्तित्व में आई उचाना कलां विधानसभा सीट से अब तक जितने भी विधायक बने हैं, वह सभी जाट समुदाय से रहे हैं। इनमें चौधरी बीरेंद्र सिंह उचाना कलां से पांच बार विधानसभा में पहुंचे, तो एक बार पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला, एक बार ओमप्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला शामिल हैं। इनके अलावा बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता, पूर्व मंत्री देशराज नंबरदार, सूबे सिंह पूनिया, भाग सिंह छात्तर उचाना का प्रतिनिधित्व विधानसभा में कर चुके हैं। उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की सबसे हॉट और वीवीआईपी सीट पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परिवार के कारण बनी है। 1977, 1982, 1991, 2005 में बीरेंद्र सिंह कांग्रेस टिकट पर और 1996 में कांग्रेस तिवारी की टिकट पर उचाना से विधायक बने थे। 1991 से वह सीएम पद की रेस में शामिल हुए, जिस कारण उचाना सीट प्रदेश की हॉट और वीआईपी विधानसभा सीट बनी।
देवीलाल, बीरेंद्र सिंह परिवारों में जंग
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सबसे बड़ी जीत क्षेत्रीय दलों के नाम
उचाना कलां के चुनावी दंगल में अब तक की दोनों सबसे बड़ी जीत क्षेत्रीय पार्टियों के नाम रही हैं। 1987 के विधानसभा चुनाव में उचाना कलां से लोकदल प्रत्याशी देशराज नंबरदार ने कांग्रेस के सूबे सिंह पूनिया को लगभग 45000 मतों के अंतर से हराया था। यह उस समय प्रदेश में लोकदल की सबसे बड़ी जीत थी। 2019 के विधानसभा चुनाव में उचाना कलां में इससे भी बड़ी जीत क्षेत्रीय दल जजपा के दुष्यंत चौटाला के नाम रही, जिन्होंने भाजपा की प्रेमलता को लगभग 48000 मतों के अंतर से पराजित किया था।
सबसे कम अंतर की जीत हुई 2009 में
उचाना कलां में सबसे कम अंतर की जीत 2009 में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के नाम रही थी। उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी बीरेंद्र सिंह को लगभग 500 मतों के अंतर से पराजित किया था।