कविताओं में जीवन का स्पंदन
फूलचंद मानव
पुस्तक : मुलाकातें (कविताएं) कवि : आलोक धन्वा प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 199.
हिंदी के वरिष्ठ, लोकप्रिय कवियों में आलोक धन्वा का नाम-काम शामिल है। सरल-सहज भाषा में समय को तौलिये की तरह निचोड़ कर रख देने वाले आलोक धन्वा का दूसरा काव्य संग्रह ‘मुलाकातें’ एक अंतराल के बाद आया है। सन् 1998 में ‘दुनिया रोज बनती है’ प्रथम संग्रह पर पाठकों, आलोचकों, संपादकों का ध्यान गया था। वामपंथी सांस्कृतिक आंदोलनों में इनकी पोस्टर कविताएं सराही गयीं। कुछ कविताएं आज भी आलोक धन्वा की अलग पहचान बना पायी हैं। ‘मुलाकातें’ राजकमल से ही इनका दूसरा काव्य संग्रह 2023 में रेखांकित हुआ है। लगभग चालीस छोटी-बड़ी कविताएं यहां प्रकृति, व्यक्ति, समाज या स्थान काे रूपायित कर रही हैं। रात, बारिश, सवाल, शृंगार, मैं भी आऊंगा, या कल्पना की विडंबना, हम और सुर सरीखी आलोक धन्वा की छोटी, लघु लेकिन दीर्घ फलक को दिखाती कविताएं प्रभावोत्पादक हैं।
जीवन कविता की प्राप्ति है कि यह अहसास तब हुआ, जब तेज-तेज बूढ़ा हो रहा हूं। जीवन जितना सार्वजनिक है उससे बहुत ज़्यादा निजी होना था। अंध-विश्वासी या आत्मघाती समय और समाज के विरोध में आलोक धन्वा की लंबी कविताएं ढाल की तरह खड़ी हैं। प्यार की प्रतीति इन कविताओं का हासिल है। बलराज साहनी, गाय, बछड़ा, बचपन, अब किसका हाथ पकड़ें जैसी रचनाओं में आलोक धन्वा का कवि नागरिक को चेता रहा है। राजनीतिक या सामाजिक कविताओं में भी यहां जीवन का स्पंदन है। मुलाकातें का प्राणतत्व है- एक बार और मिलने के बाद भी एक बार और मिलने की इच्छा कम नहीं होगी। राजकमल की प्रस्तुति ‘मुलाकातें’ आलोक धन्वा की कविताएं गंभीर पाठक को खींचती है।