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स्पीकर सहित नायब सरकार के 9 मंत्रियों को जनता ने घर बैठाया

07:37 AM Oct 09, 2024 IST

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 अक्तूबर
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने उन नेताओं को तगड़ा झटका और सबक दिया है, जो मतदाताओं की सोच को भांपने और उसे ‘गारंटिड’ मानकर चलते हैं। मताधिकार का इस्तेमाल करते हुए जनता ने बता और जता दिया है कि अब राजनीति का स्वरूप बदल रहा है। पुराने ढर्रे वाली राजनीति अधिक दिन नहीं चलेगी। यही कारण रहे कि विधानसभा के पूर्व स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता सहित नायब सरकार के नौ मंत्रियों को लोगों ने घर बैठा दिया। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भी इस बार विधानसभा नहीं पहुंचने दिया है।
सबसे बड़ी बात यह है कि 2019 के विधानसभा चुनावों में भी जनता ने उस समय मनोहर कैबिनेट के कई मंत्रियों के खिलाफ जनादेश सुनाया था। मंत्री व विधायक बनने के बाद हलके के मतदाताओं व पार्टी वर्करों के साथ दूरी बनाकर चलने वाले नेताओं को अब नकारना शुरू कर दिया है। इस बार भी जितने मंत्री चुनाव हारे हैं, उनमें से कइयों को लोगों ने केवल उनके कथित ‘अहंकार’ की वजह से घर बैठाया है।
पिछले चुनाव में मनोहर कैबिनेट के केवल तीन मंत्री – अनिल विज, कंवर पाल गुर्जर व डॉ़ बनवारी लाल ही चुनाव जीत पाए थे। इस बार भी दो ही मंत्रियों ने अपनी सीट बनाई हैं। इनमें बल्लभगढ़ से मूलचंद शर्मा और पानीपत ग्रामीण से महिपाल सिंह ढांडा शामिल हैं। नायब सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ़ कमल गुप्ता इस बार हिसार की सीट पर अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार सावित्री जिंदल ने शिकस्त दी है। पंचकूला में स्पीकर ज्ञानंद गुप्ता को पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई ने चुनाव हराया है।
हरियाणा के कृषि मंत्री कंवर पाल गुर्जर जगाधरी से चुनाव हार गए। इससे पहले वे दो बार लगातार चुनाव जीते थे। कांग्रेस के अकरम खान ने उन्हें चुनाव हराया है। वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल भी लगातार दूसरा चुनाव नहीं जीत पाए। लोहारू हलके में कांग्रेस के राजबीर सिंह फरटिया ने उन्हें विधानसभा नहीं पहुंचने दिया। नायब सरकार में बिजली व जेल मंत्री रहे चौ़ रणजीत सिंह रानियां से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। यहां से इनेलो के अर्जुन सिंह चौटाला ने उन्हें चुनाव में पटकनी दी। नायब सरकार में शहरी स्थानीय निकाय मंत्री रहे सुभाष सुधा 2014 और 2019 में थानेसर से विधायक बने। इस बार कांग्रेस के अशोक अरोड़ा के हाथों वे चुनाव हार गए। परिवहन मंत्री और लगातार दो बार अंबाला सिटी से विधायक रहे असीम गोयल को कांग्रेस के चौ़ निर्मल सिंह ने चुनाव हराया है। खेल मंत्री संजय सिंह को भाजपा ने सोहना से शिफ्ट करके नूंह से चुनाव लड़वाया। नूंह में कांग्रेस के आफताब अहमद ने उन्हें चुनाव में शिकस्त दी। वहीं सिंचाई मंत्री डॉ़ अभय सिंह यादव नांगल-चौधरी में कांग्रेस की मंजू चौधरी के हाथों चुनाव हारे हैं।
बल्लभगढ़ हलके से उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री मूलचंद शर्मा ने जीत की हैट्रिक लगाई है। मूलचंद शर्मा का मुकाबला निर्दलीय उम्मीदवार शारदा राठौर के साथ था। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार पराग शर्मा यहां अपनी जमानत भी नहीं बचा पाईं।
इसी तरह पानीपत ग्रामीण सीट से विकास एवं पंचायत मंत्री महिपाल सिंह ढांडा ने हैट्रिक लगाई है। ढांडा ने कांग्रेस के सचिन कुंडू को 50 हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी। वहीं कांग्रेस के बागी और निर्दलीय चुनाव लड़े विजय जैन को 43 हजार 323 वोट मिले।

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इन मंत्रियों की कटी थी टिकट

भाजपा ने तीन मंत्रियों की टिकट काटी थी। बड़ी बात यह है कि तीनों ही सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। पीडब्ल्यूडी मंत्री डॉ़ बनवारी लाल लगातार दो बार बावल से विधायक रहे। लेकिन इस बार उनकी जगह डॉ़ कृष्ण कुमार को टिकट दिया गया। कृष्ण कुमार कांग्रेस के एमएल रंगा को शिकस्त देकर पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा की टिकट काटकर यहां से भाजपा ने धनेश अदलक्खा को टिकट दिया। धनेश भी कांग्रेस के विजय प्रताप सिंह को हराने में कामयाब रहे। इसी तरह बवानीखेड़ा से राज्य मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि की टिकट काटी गई। यहां से अब भाजपा के कपूर वाल्मीकि ने कांग्रेस के प्रदीप नरवाल को चुनाव हराया है।

इस बार केवल तीन निर्दलीय

15वीं विधानसभा में महज तीन निर्दलीय विधायक चुने गए हैं। इनमें हिसार से सावित्री जिंदल, गन्नौर से देवेंद्र कादियान और बहादुरगढ़ से राजेश जून शामिल हैं। 2019 के चुनावों में सात निर्दलीय विधायक बने थे। इनमें से इस बार एक भी वापस सदन नहीं पहुंचा।

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समधन जीती, समधी हारे

विधानसभा चुनाव में समधन और समधी भी अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहीं शक्ति रानी शर्मा ने कांग्रेस के प्रदीप चौधरी को हराकर जीत हासिल की है। शक्ति रानी शर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी और राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा की मां हैं। वहीं उनके समधी यानी कार्तिकेय शर्मा के ससुर कुलदीप शर्मा गन्नौर से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा के बागी और निर्दलीय चुनाव लड़े देवेंद्र कादियान ने कुलदीप शर्मा को चुनाव हराया है।

हुड्डा के रिश्तेदार को भी शिकस्त

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी-सांपला-किलोई हलके से अच्छे मार्जन से चुनाव जीत गए हैं। लेकिन उनके करीबी रिश्तेदार करन सिंह दलाल इस बार पलवल से बड़े अंतर से चुनाव हारे हैं। भाजपा के गौरव गौतम ने उन्हें 33 हजार 605 मतों से शिकस्त दी है। इसी तरह कृष्णा गहलोत भाजपा टिकट पर राई से चुनाव जीत गई हैं। उनकी भी हुड्डा परिवार के साथ रिश्तेदारी है। दरअसल, हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा व कृष्णा गहलोत का बेटा राजस्थान में एक ही परिवार में शादीशुदा हैं।

पोते ने दादा को हराया

रानियां हलके में दादा और पोते के बीच चुनावी जंग हुई। इनेलो टिकट पर पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते अर्जुन सिंह चौटाला यहां से चुनाव लड़े। वहीं उनके दादा और देवीलाल पुत्र चौ. रणजीत सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। अर्जुन चौटाला ने इस सीट से जीत दर्ज की है। इसी तरह बहादुरगढ़ हलके में चाचा-भतीजे के बीच रोचक जंग हुई। कांग्रेस ने मौजूदा विधायक राजेंद्र जून को टिकट दिया था। यहां से टिकट मांग रहे कांग्रेस के राजेश जून ने निर्दलीय ताल ठोक दी। राजेंद्र जून, राजेश के चाचा हैं। राजेश जून ने 73 हजार 191 वोट लेकर भाजपा के दिनेश कौशिक के मुकाबले 41 हजार 999 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। वहीं राजेंद्र जून तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें 28 हजार 955 वोट मिले।

इस बार 11 महिलाएं चुनकर पहुंचीं विस, 101 ने लड़ा चुनाव

हरियाणा की 15वीं विधानसभा भी 2014 के रिकार्ड को नहीं तोड़ सकी। हालांकि 2019 के मुकाबले इस बार 11 महिलाएं चुनकर विधानसभा पहुंची हैं। 2019 में नौ महिलाओं ने चुनाव जीता था। इस बार के चुनावों में कुल 101 महिलाएं अपनी किस्मत आजमा रही थीं। विधानसभा के इतिहास में अभी तक 2014 में सर्वाधिक 14 महिलाएं सदन में पहुंची थीं। इन बार विधायक बनने वाली महिलाओं में झज्जर से विधायक बनीं गीता भुक्कल, अकेली ऐसी हैं, जो लगातार पांचवीं बार विधानसभा पहुंची हैं। झज्जर हलके से उन्होंने जीत का चौका लगाया है। पहली बार वे 2005 में कलायत से चुनाव जीती थीं। 2008 के परिसीमन में कलायत हलका ओपन होने के बाद उन्होंने 2009 का चुनाव झज्जर से लड़ा और जीत हासिल की। 2014 की जीत के बाद और झज्जर से 2019 में हैट्रिक लगाई। इस बार चौथी बार लगातार वे झज्जर से जीती हैं। वहीं कलानौर हलके में कांग्रेस की शकुंतला खटक ने जीत की हैट्रिक लगाई है। चुनाव जीतने वाली महिलाओं में भाजपा की चार, कांग्रेस की पांच और एक निर्दलीय महिला विधायक शामिल हैं। पेरिस ओलंपिक में पदक से चूकी विनेश फोगाट अब बेबाकी के साथ अपनी बात रख सकेंगी। वहीं बंसीलाल परिवार से उनकी पोती श्रुति चौधरी पहली बार विधानसभा पहुंची हैं। साथ ही, केंद्रीय राव इंद्रजीत की बेटी और भूतपूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र सिंह की पोती आरती राव अटेली से चुनाव जीती हैं। वे पहली बार विधानसभा में नजर आएंगी। देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल ने हिसार हलके से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता है। अब तक 2014 में सबसे ज्यादा 13 महिलाएं चुनकर विधानसभा पहुंची थी, जबकि 2005 में 11, 2009 और 2019 में 9-9 महिलाएं विधायक निर्वाचित हुई। चंद्रावती हरियाणा विधानसभा की पहली महिला सदस्य थीं और हरियाणा से पहली महिला संसद सदस्य भी थीं। वे 1990 में उपराज्यपाल रहीं। 1964 और 1972 में हरियाणा मंत्री रही। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1954 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र से लड़ा और जीत हासिल की।

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