कांग्रेस और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर, जातीय समीकरण साधने की कोशिश
ज्ञान ठाकुर/हप्र
शिमला, 1 मई
हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा-चंबा लोकसभा सीट पर कांग्रेस व भाजपा के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को कांगड़ा से उम्मीदवार बना कर जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा दोनों ने ही कांगड़ा से ब्राहमण नेताओं को चुनाव में उतारा है। हालांकि कांगड़ा-चम्बा संसदीय हलके के जातीय समीकरणों से साफ है कि यहां राजपूत व ओबीसी वर्ग के वोट निर्णायक साबित होंगे। जातीय समीकरणों के हिसाब से कांगड़ा में 34 प्रतिशत राजपूत, 32 प्रतिशत ओबीसी, 20 फीसदी ब्राहमण तथा 14 प्रतिशत गद्दी व गुज्जर मतदाता हैं।
यह है सीट का इतिहास
1998 से 2019 तक हुए 6 लोकसभा चुनाव में यहां से 4 बार ब्राहमण उम्मीदवार चुनाव जीत कर संसद पहुंचे हैं। इसमें 1998, 1999 तथा 2014 में शांता कुमार और 2009 में डॉ. राजन सुशांत ब्राहमण उम्मीदवार होते हुए चुनाव जीते। 2004 में चंद्र कुमार तथा 2019 में किशन कपूर विजयी हुए। 1998 से 2019 तक के छह में से 5 चुनाव भाजपा ने जीते हैं। जानकारों का कहना है कि भले ही कांग्रेस व भाजपा दोनों ने ब्राहमण उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं मगर राजपूत व ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका में होंगे। इसके लिए दोनों ही दलों के विधायकों व पूर्व विधायकों को पसीना बहाना पड़ेगा। कांग्रेस के पास कांगड़ा में भवानी सिंह पठानिया राजपूत चेहरा है। इसी तरह कृषि मंत्री चंद्र कुमार ओबीसी नेता हैं। भाजपा के पास पूर्व मंत्री एवं विधायक विपिन सिंह परमार तथा पूर्व मंत्री राकेश पठानिया प्रमुख राजपूत नेता हैं। इनके अलावा रमेश धवाला तथा पवन काजल पार्टी के ओबीसी चेहरे हैं। ब्राहमण नेताओं के नाम पर भाजपा के पास वरिष्ठ नेता शांता कुमार व सुधीर शर्मा हैं। कांग्रेस के पास संजय रतन ही प्रमुख ब्राह्मण चेहरा हैं। चंबा जिले में भाजपा के पास हर्ष महाजन, डीएस ठाकुर व डॉ. हंस राज प्रमुख चेहरे हैं। कांग्रेस के पास पूर्व विधायक आशा कुमारी तथा विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया हैं। जाहिर है कि लोकसभा चुनाव में इन सभी राजनीतिक दिग्गजों की साख दांव पर होगी।
विधानसभा क्षेत्रों में से 10 पर कांग्रेस
कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रों में से 10 पर कांग्रेस तथा 6 पर भाजपा के विधायक हैं। धर्मशाला में उपचुनाव होना है। कांग्रेस के दस विधायकों में से एक विधानसभा अध्यक्ष हैं। इसके अलावा कृषि मंत्री चंद्र कुमार, कैबिनेट मंत्री यादवेंद्र गोमा, भवानी सिंह पठानिया और केवल सिंह पठानिया पर अपने अपने हलकों में कांग्रेस उम्मीदवार को बढ़त दिलाने का दबाव रहेगा। इस संसदीय हलके में भाजपा के पास बेशक छह विधायक ही हों, मगर पार्टी धरती पुत्र का नारा बुलंद करने की तैयारी में है। इसकी वजह आनंद शर्मा का शिमला से होना है। बहरहाल आनंद शर्मा व भाजपा उम्मीदवार डॉ. राजीव भारद्वाज दोनों ही पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। आनंद शर्मा इससे पहले एक बार शिमला से विधानसभा चुनाव लड़े थे, मगर पराजित हो गए थे।